कंगाली से बचने के लिए तुर्की और सऊदी को मनाने में जुटी टीम 'नियाजी'

By Team MyNation  |  First Published Aug 17, 2020, 7:57 AM IST

असल में इस्लामिक सहयोग संगठन को दो हिस्सों में बांटने की धमकी देकर पाकिस्तान ने सऊदी अरब को नाराज कर लिया है और इसके बाद उसने पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज पर रोक लगा दी है।

नई दिल्‍ली। आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके पाकिस्तान ने आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआइसी) को दो-फाड़ कर देने की धमकी देकर अपने ही पैर में कुल्हाड़ी  मार ली है। सऊदी अरब की नाराजगी के कारण पाकिस्तान की स्थिति काफी खराब हो गई है और इमरान खान नियाजी सरकार आर्थिक बदहाली झेल रहे अपने मुल्‍क को समस्याओं से निजात दिलाने के लिए तुर्की की तरफ आस की तरफ देख रहे हैं।  लिहाजा इमरान खान की टीम ने तुर्की और सऊदी अरब को लुभाने की तैयारी कर ली है।  पाकिस्तान जहां तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन वहीं दूसरी तरफ पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब का गुस्सा शांत करने की कोशिश में लगे हैं। इसके लिए वह क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को मनाने के लिए अरब जा रहे हैं।

असल में इस्लामिक सहयोग संगठन को दो हिस्सों में बांटने की धमकी देकर पाकिस्तान ने सऊदी अरब को नाराज कर लिया है और इसके बाद उसने पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज पर रोक लगा दी है। फिलहाल सऊदी ने पाकिस्तान को उधार में तेल देना बंद कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान की स्थिति और ज्यादा खराब होने लगी है। लिहाजा आनन फानन में पाकिस्तान ने सऊदी अरब को मनाने की तैयारी की है। पाकिस्तान के  विदेश मंत्री की गलतियों को सुधारने के लिए पाकिस्तानी सेना के जनरल बाजवा रियाद का दौरा कर रहे हैं। वहीं सऊदी अरब तुर्की के एर्दोगन के साथ नजदीकी से चिढ़ा हुआ है। क्योंकि पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया के साथ ही नया गुट बनाने की तैयारी में था। जिसके बाद सऊदी अरब  ने पाकिस्तान की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया।


वहीं तुर्की के पीएम एर्दोगन सऊदी नेतृत्व को खुलेआम चुनौती देते रहे हैं।  लिहाजा पाकिस्तान को एक पक्ष के साथ ही आना होगा। वहीं तुर्की की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। लिहाजा पाकिस्तान को दो मोर्चों पर काम करना पड़ रहा है। फिलहाल बाजवा रियाद गए हैं और सऊदी किंग मोहम्मद बिन सलमान से अरबों डॉलर कर्ज लेने की कोशिशें कर रहे हैं।  वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सरकार तुर्की, मलेशिया और ईरान के साथ रिश्तों को बेहतर कर रहे है। जो सऊदी अरब को पसंद नहीं है।
 

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