नवरात्र में हो सकता है भाजपा-शिवसेना में सीटों का बंटवारा

By Team MyNationFirst Published Sep 26, 2019, 9:19 AM IST
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महाराष्ट्र को लेकर भाजपा और शिवसेना दोनों परेशान हैं। हालांकि इस बार ज्यादा परेशाना शिवसेना को लेकर है। क्योंकि अगर दोनों दलों के बीच में गठबंधन नहीं होता है तो इसका नुकसान शिवसेना को ही उठाना पड़ेगा। लिहाजा शिवसेना इस मामले में संभल कर चल रही है। उसके नेता भाजपा के खिलाफ किसी भी तरह का बयान नहीं दे रहे हैं। असल में अभी तक राज्य की 288 सीटों के लिए बंटवारा का कोई फार्मूला तय नहीं हो सका है। 

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और शिवसेना में पेंच फंसा हुआ है। फिलहाल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुंबई जाने का फैसला टाल दिया है। वह आज मुंबई जाने वाले थे। लेकिन पित्तपक्ष को देखते हुए अमित शाह ने वहां जाने का फैसला टाल दिया है। लिहाजा माना जा रहा है कि 29 सितंबर से लगने वाले नवरात्र में दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो जाएगा।

महाराष्ट्र को लेकर भाजपा और शिवसेना दोनों परेशान हैं। हालांकि इस बार ज्यादा परेशाना शिवसेना को लेकर है। क्योंकि अगर दोनों दलों के बीच में गठबंधन नहीं होता है तो इसका नुकसान शिवसेना को ही उठाना पड़ेगा। लिहाजा शिवसेना इस मामले में संभल कर चल रही है। उसके नेता भाजपा के खिलाफ किसी भी तरह का बयान नहीं दे रहे हैं।

असल में अभी तक राज्य की 288 सीटों के लिए बंटवारा का कोई फार्मूला तय नहीं हो सका है। भाजपा शिवसेना को 120 से ज्यादा सीट देने के पक्ष में नहीं जबकि शिवसेना 50-50 के फार्मूले के लिए दबाव बनाए हुए है। असल में पिछले बार भाजपा और शिवसेना ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। जिसमें भाजपा ने 122 सीटें जीती।

जबकि शिवसेना 63 सीटों पर ही सिमट गई थी। वहीं इस बार राज्य में भाजपा मजबूत हुई है। लिहाजा शिवसेना को लग रहा है कि अगर अलग अलग चुनाव लड़े तो उसे ज्यादा नुकसान होगा और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। ऐसी स्थिति में कहीं ऐसा न हो कि भाजपा अपने बलबूते सरकार बना ले। जिसके बाद राज्य में शिवसेना के अस्तित्व पर खतरा आ जाएगा।

वहीं शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को उम्मीद है कि पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गठबंधन को बचाने के लिए शिवसेना को सम्मानजनक सीट देंगे। हालांकि शिवसेना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर नकारात्मक है। शिवसेना ये मान कर चल रही है कि कांग्रेस और एनसीपी की कमजोरी का फायदा सीधेतौर पर भाजपा को मिलेगा।

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