पार्टी के कार्यकारी प्रमुख पुष्प कुमार दहल प्रचंड ने साफ तौर पर कहा दिया था कि ओली की टिप्पणी कि भारत उन्हें पद से हटाने की साजिश रच रहा है ये सही नहीं है। क्योंकि इसके लिए ओली के पास कोई सबूत नहीं हैं।
नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भाग्य के फैसला आज हो सकता है। आज ये तय हो सकता है कि ओली पद पर रहेंगे या नहीं। लिहाजा नेपाल में सियासी माहौल गर्माया हुआ है और भारत के साथ ही चीन की भी नजर ओली के भाग्य के फैसले को लेकर है। क्योंकि ओली लगातार चीन के इशारे पर देश के हितों को अनदेखा कर फैसले ले रहे हैं।
असल में आज सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की अहम बैठक होने जा रही है और इस बैठक में ओली का भविष्य तय होगा। क्योंकि 18 में से 17 सदस्य ओली के खिलाफ और वह पहले भी ओली से इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। हालांकि पार्टी की सबसे शक्तिशाली इकाई की बैठक गुरुवार को तय थी और लेकिन वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति न बन पाने के कारण इसे टाल दिया गया था। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को ही साफ कर दिया था कि ओली को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि उनके भारत विरोधी बयान और फैसले न तो राजनीतिक रूप से सही हैं और न ही कूटनीतिक रूप इन्हें सही ठहराया जा सकता है।
पार्टी के कार्यकारी प्रमुख पुष्प कुमार दहल प्रचंड ने साफ तौर पर कहा दिया था कि ओली की टिप्पणी कि भारत उन्हें पद से हटाने की साजिश रच रहा है ये सही नहीं है। क्योंकि इसके लिए ओली के पास कोई सबूत नहीं हैं। पिछले रविवार को ओली ने कहा था कि उन्हें पद से हटाने के लिए दूतावासों और होटलों में में बैठकें हो रही हैं और इसमें कई नेपाली नेता भी शामिल हैं। इस बयान के बाद ओली अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशान पर आ गए। हालांकि ओली ने पिछले महीने अपनी आलोचनाओं से बचने और विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए लिपुलेख और कालापानी जैसे भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताने वाले नए नक्शे को संसद में पारित किया।
वहीं इस पूरे प्रकरण के बाद एनसीपी में दरार साफ देखी जा रही है और पार्टी के भीतर एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं और जबकि दूसरे गुट का प्रचंड। स्थायी समिति के एक सदस्य गणोश शाह ने कहा कि ओली एकतरफा तरीके से सरकार चला रहे हैं और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड को भी दरकिनार कर रहे हैं।