जब सिद्धू को स्थानीय निकास विभाग से हटाया गया था तो उस इसके बाद उनके विभाग की विजिलेंस जांच शुरू हो गयी थी। इसकी जद में सिद्धू की ओएसडी भी आ रही थी। इसमें भ्रष्टाचार के मामले बताए जा रहे थे। लेकिन इसी बीच फाइलों का गायब हो जाना क्या किसी साजिश की तरफ इशारा करता है?
पंजाब में कुछ दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह मंत्रीमंडल से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के पुराने विभाग स्थानीय निकाय से दो अहम फाइलें गायब बताई जा रही हैं। इसको लेकर राज्य में अब कैप्टन और सिद्धू के बीच सियासी जंग छिड़ने वाली है। सिद्धू को करीब डेढ़ महीने पहले नगर विकास विभाग से हटा कर ऊर्जा विभाग का दायित्व दे दिया था। ऐसा बताया जा रहा एक फाइल में कैप्टन से संबंधित फैसले हैं जिनका मामला कोर्ट में चल रहा है।
असल में ऊर्जा विभाग का दायित्व देने के बावजूद सिद्धू ने कार्यभार नहीं संभाला था। लेकिन उसके बाद उन्होंने पिछले हफ्ते अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेज दिया था। लेकिन अभी तक उस पर फैसला नहीं हुआ है।
लेकिन जब सिद्धू को स्थानीय निकास विभाग से हटाया गया था तो उस इसके बाद उनके विभाग की विजिलेंस जांच शुरू हो गयी थी। इसकी जद में सिद्धू की ओएसडी भी आ रही थी। इसमें भ्रष्टाचार के मामले बताए जा रहे थे। लेकिन इसी बीच फाइलों का गायब हो जाना किसी साजिश की तरफ इशारा करता है।
यही नहीं इससे राज्य की राजनीति में खलबली मच सकती है। क्योंकि ये फाइलें उनके स्थानीय निकाय मंत्री रहने के समय के हैं। फिलहाल इस मामले की जांच के स्थानीय निकाय के कैबिनेट मंत्री ने आदेश दे दिए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण फाइल सिटी सेंटर घोटाले की है।
इस मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर लुधियाना की कोर्ट में केस चल रहा है। इस मामले की पूर्व की बादल सरकार ने विजिलेंस की जांच करवाई और कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत पांच अन्य पर केस दर्ज कर लिया। वहीं इस मामले में कांग्रेस की सरकार आ जाने के बाद विजिलेंस ने क्लोजर रिपोर्ट दे दी है।
हालांकि राजनैतिक गलियारों में चर्चा ये भी है कि ये फाइलें सिद्धू के पास हैं जो उन्होंने अभी तक सरकार को नहीं लौटाई हैं। फिलहाल ये तो तय है कि फाइल गायब होने के बाद सिद्धू और कैप्टन के बीच सियासी जंग तेज और होगी। जिसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ेगा।