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फिर रामलला की शरण में जाएंगे उद्धव, सरकार ने पूरे किए सौ साल पूरे

Published : Mar 06, 2020, 07:18 PM IST
फिर रामलला की शरण में जाएंगे उद्धव, सरकार ने पूरे किए सौ साल पूरे

सार

उद्धव ठाकरे शनिवार दोपहर को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के दर्शन करेंगे, उसके बाद शाम को सरयू नदी में पूजा करेंगे। हालांकि कोरोना का खतरा उद्धव की इस यात्रा में भी  दिख रहा है और इसके चलते उन्होंने सरयू तट पर होने वाले पूजा के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। राज्य में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उद्धव ठाकरे की यह पहली अयोध्या है।

मुंबई। महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने सौ दिन पूर कर लिए है। अब अपने वादे के मुताबिक उद्धव ठाकरे कल अयोध्या में रामलला के दर्शन कर आर्शीवाद लेंगे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्य में शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी सहयोगी हैं।


उद्धव ठाकरे शनिवार दोपहर को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के दर्शन करेंगे, उसके बाद शाम को सरयू नदी में पूजा करेंगे। हालांकि कोरोना का खतरा उद्धव की इस यात्रा में भी  दिख रहा है और इसके चलते उन्होंने सरयू तट पर होने वाले पूजा के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। राज्य में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उद्धव ठाकरे की यह पहली अयोध्या है। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गुरुवार को ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उद्धव की यात्रा की व्यवस्था पर चर्चा की।

शिवसेना की अगुवाई वाली नई महाराष्ट्र सरकार शिवसेना सरकार ने पहले ही ऐलान किया था कि वह राज्य में सरकार के सौ दिन होने के मौके पर अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे। जनवरी में यात्रा की घोषणा करते समय संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उद्धव के साथ रामलला के दर्शन करने को कहा था। असल में उद्धव ठाकरे पिछले साल नंबवर में ही रामलला के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन राममंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ठाकरे ने अपना दौरा रद्द कर दिया था।

हालांकि उससे पहले उद्धव ठाकरे ने पिछले साल रामलला के दर्शन कर भाजपा पर अयोध्या में मंदिर बनाने को लेकर दबाव बनाया था। हालांकि  ठाकरे की अयोध्या यात्रा से पहले शिवसेना विधायक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राम मंदिर के लिए बनाए गए ट्रस्ट में शिवसेना के एक सदस्य को नियुक्त करने की मांग की है। क्योंकि शिवसेना हमेशा दावा करती है कि विवादित बाबरी मस्जिद गिराने में शिवसैनिकों की भूमिका थी।

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