उत्तर प्रदेश में हथियारों के फर्जी लाइसेन्स के मामले में जांच और आगे बढ़ी है। इस मामले में मुख्य अभियुक्त आजम लारी और एक पूर्व सरकारी अधिकारी शामिल है।
गोरखपुर: फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले में एसआईटी का शिकंजा कसना शुरु हो गया है। इस मामले में पुलिस और दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। जिसमें से एक है पूर्व असलहा बाबू और दूसरा है इस मामले का मुख्य अभियुक्त।
यह दोनों अब पुलिस की गिरफ्त में हैं। मुख्य अभियुक्त आजम लारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सूत्रों के मुताबिक आजम लारी का किसी राजनीतिक पार्टी से अच्छा खासा सम्बन्ध हैं। जिसकी वजह से पुलिस आजम लारी को सामने लाने में भी घबरा रही है।
हालांकि आजम लारी के राजनीतिक संबंधों के मामले में एसआईटी ने अभी तक किसी तरह का आधिकारिक बयान नहीं दिया है। एसआईटी अधिकारियों का कहना है कि जांच का विषय है इस बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी नहीं है।
इस फ़र्ज़ी शस्त्र के प्रकरण में पूर्व शस्त्र लिपिक बाबू विजय श्रीवास्तव ने खुद का भी फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना लिया था और इस फर्जी शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण भी कराया गया था। लेकिन इस शातिर लिपिक से पुलिस अभी तक शस्त्र नहीं बरामद कर पाई।
इस मामले में अभी सैकड़ो लोगों के पुलिस के शिकंजे में आने की आशंका है। इस मामले में यूपी एसआईटी लगातार जांच में जुटी हुई है।
एसआईटी प्रभारी एसीपी रोहन बोत्रे प्रभारी ने बताया कि, कुछ दिन पहले कैंट थाने में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। जिसमें फ़र्ज़ी शस्त्र लाइसेंस के मामले में जिसमे कुल 10 लोगो को गिरफ्तार किया गया। रविवार को दो लोगो को और गिरफ्तार किया गया हैं । जिसमें पूर्व असला बाबू विजय कुमार श्रीवास्तव और आजम लारी को गिरफ्तार किया गया है। आजम लारी के पास से एक फ़र्ज़ी लाइसेंस और पिस्टल बरामद हुआ है।