Mafia Mukhtar Ansari: सेना की LMG खरीदने के लिए मुख्तार ने की 1 करोड़ की डील... हिल गई थी CM मुलायम की कुर्सी

By Surya Prakash TripathiFirst Published Mar 29, 2024, 9:20 AM IST
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मुख्तार अंसारी के परिवार का क्रिमिनल बैंक ग्राउंड शून्य था लेकिन अपनी काली करतूतों के बूते उसने  63 साल के जीवन में 61 मुकदमों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर डाली। जीवन के अंतिम 19 वर्ष सलाखों के पीछे गुजारने वाले मुख्तार के मुकदमों की लिस्ट में एक ऐसा मुकदमा भी था, जो यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था।

वाराणसी। मुख्तार अंसारी के परिवार का क्रिमिनल बैंक ग्राउंड शून्य था लेकिन अपनी काली करतूतों के बूते उसने  63 साल के जीवन में 61 मुकदमों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर डाली। जीवन के अंतिम 19 वर्ष सलाखों के पीछे गुजारने वाले मुख्तार के मुकदमों की लिस्ट में एक ऐसा मुकदमा भी था, जो यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पेशानियों पर बल पड़ गया था। 

मुख्तार-कृष्णानंद के खूनी गैंगवार पर नजर रख रहे थे डीएसपी शैलेंद्र सिंह
हम बात कर रहे हैं वाराणसी एसटीएफ चीफ रहे पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह की। घटना 2004 की है। उस वक्त शैलेंद्र सिंह को मुख्तार अंसारी और BJP विधायक कृष्णानंद राय के बीच चल रही टशन पर निगाह रखने के लिए लखनऊ से भेजा गया था

BJP विधायक कृष्णानंद राय को मारने की थी मुख्तार की योजना 
मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर वर्ष 1985 से एकतरफा जीत हासिल करने वाले अंसारी परिवार को 2002 के विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी। बीजेपी कैंडीडेट कृष्णानंद राय ने मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को करीब 7 हजार वोटों से हरा दिया था। जिससे माफिया परिवार बौखला गया था। कृष्णानंद राय मुख्तार की आंखों की किरकिरी बन गए थे। दोनों के बीच खूनी जंग शुरू हो गई थी। डीएसपी शैलेंद्र सिंह को फोन रिकार्डिंग के दौरान मुख्तार ने किसी से LMG गन यानि लाइट मशीन गन खरीदने की जानकारी मिली तो वह भौचक रह गए। इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार था। 

सेना के भगोड़े बाबूलाल ने चोरी की LMG का किया था मुख्तार से सौदा
यह घटना जनवरी 2004 की है। इसके लिए उसने आर्मी के एक भगोड़े द्वारा चुराई गई LMG खरीदने का सौदा किया। फोन टैपिंग के जरिए ही पता चला कि सेना का भगोड़ा बाबूलाल मुख्तार से बताया कि उसके पास सेना से चुराई गई LMG गन है। दोनो के बीच उस वक्त करीब 1 करोड़ रुपए की डील हुई थी। उसके बाद पुलिस ने रिकार्डिंग के जरिए एलएमजी गन बरामद कर ली। जिससे पुलिस को लगा कि अब मुख्तार को उसकी हैसियत दिखा देगी, क्योकि इस अपराध में उसका बच पाना मुश्किल था।

POTA लगने के बाद प्रेशर पालिटिक्स के जरिए मुख्तार ने रद्द करा दिया था केस
मुख्तार पर पुलिस ने आर्म्स एक्ट के अलावा pota के तहत कार्रवाई कर दी थी। मुख्तार को भनक लग गई। मुख्तार की सियासत में भी अच्छी पकड़ थी। उसने बीएसपी के विधायकों को तोड़कर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई थी। जाहिर सी बात है कि सरकार उसके इशारों पर टिकी थी। मुख्तार ने इशारा किया और मुलायम सिंह ने मजबूरी में ही सही उस केस को ही रद्द करा दिए। 

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