वाराणसी। पंजाब के राेपड़ जेल से वर्ष 2021 में वापस यूपी आने के बाद माफिया को बांदा जेल में रखा गया था। वहां भी उसने अपने आस-पास ऐसा घेरा बना लिया था, जिसको पार करने के पहले जेल अफसर भी इज्जत से इजाजत लेते थे। मुख्तार के यूं तो कई चर्चित किस्से हैं, सलाखों के पीछे के ऐसे 4 किस्से Mynation Hindi बताने जा रहा है, जो उसके रुआब और रुतबे को बयां करने के लिए काफी हैं।

स्टोरी1- ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में बनवा दिया था तालाब
यूपी की जेलों में मुख्तार के रुआब का एक नमूना गाजीपुर जेल की भी एक कहानी है। वर्ष 2005 ही वह साल है, जहां से मुख्तार की जिंदगी का सफर सलाखों के पीछे से शुरू हुआ और वर्ष 2024 के 28 मार्च की तारीख को जीवन यात्रा खत्म होने के साथ समाप्त हो गया।  2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी सरेंडर कर गाजीपुर जेल पहुंच गया था। उस वक्त मुख्तार विधायक था। उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने इस घटना को स्वीकार किया था। तब गाजीपुर जेल में डीएम जैसे  अफसरों के साथ वह बैडमिंटन खेला करता था।

स्टोरी 2: 18 महीने तक बांदा जेलर का चार्ज नहीं लेने काे तैयार हुआ कोई अफसर
योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेकर  मुख्तार को पंजाब की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया था। मुख्तार का खौफ इतना था कि यहां आने के बाद बांदा करीब 18 तक जेल में कोई अधिकारी चार्ज लेने को तैयार नहीं हो रहा था। बाद में विजय विक्रम संह और एके सिंह को भेजा गया था। जून 2021 में छापेमारी के दौरान डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन ने डिप्टी जेलर विरेश्वर प्रताप सिंह व 4 बंदीरक्षकों को उसकी सेवादारी करने की शिकायत पर सस्पेंड कर दिया था। 

स्टोरी 3: मुख्तार की दरबार लगने पर बंद हो जाते थे CCTV कैमरे
माफिया से सियासतदान बना मुख्तार करीब 2 साल तक बांदा जेल में रहा। पिछले साल मार्च में यहां से एक कैदी को जमानत मिली। बाहर आने के बाद अपना परिचय छिपाते हुए उसने बताया कि मुख्तार स्पेशल हाई सिक्योरिटी सेल रहता है।  उसकी बैरक दूसरे कैदियों से अलग थी। जेल के बीच वाले गेट के पास बनी उस बैरक के गेट के पास ही वह हर रोज घंटे-दो घंटे कुर्सी डालकर बैठता था।  वहीं पर वह सबसे मुलाकात करता थ्जा। जब वह बैठता था तो उधर से कोई गुजरता नहीं था। साथ ही उस हिस्से का CCTV बंद कर दिया जाता था, ताकि वह किससे मिल रहा है, इसके बारे में किसी को जानकारी न हो। 

स्टोरी 2: तमाम कानूनी बंदिशों पर हमेशा भारी पड़ी मुख्तार की आरामदेही 
डीएम और एसपी बांदा की टीम ने जून 2022 में बांदा जेल में छापा मारा। सूत्रों के अनुसार उवक्त मुख्तार के बैरक में होटल का खाना और दशहरी आम की पेटियां मिलीं थी। उसके रुतबे और रुआब का आलम यह था कि उसे जेल में हर वह सुविधा मुहैलया कराई जाती थी, जिसकी वह इच्छा करता था। हैरानी की बात यह है इसमें उसके लिए तमाम कानूनी पेचिदगियां खत्म हो जाती थीं। 

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