यूपी पुलिस ने पेश की मानवता की मिसाल

By Team MyNationFirst Published Sep 22, 2019, 1:49 PM IST
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उत्तर प्रदेश पुलिस का विवादों से गहरा नाता है । लेकिन फर्रूखाबाद के मऊ दरवाजा थाने में तैनात इंस्पेक्टर ने ऐसा काम किया है कि लोग उनकी तारीफ करने से लोग खुद को रोक नहीं पा रहे हैं। दरअसल जब एक मृतक के परिजनों ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया तो इंस्पेक्टर ने श्मशान घाट पर विधि विधान से खुद उसका अंतिम संस्कार  किया 
 

कानपुर- बीमारी की वजह से सरकारी अस्पताल में 30 वर्षीय युवक ने दम तोड़ दिया । पोस्टमार्टम के बाद युवक के शव को उसके भाई और रिश्तेदारों ने लेने से इंकार कर दिया । मृतक के भाई के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो भाई का अंतिम संस्कार कर पाता और आने से मना कर दिया । इंस्पेक्टर ने खुद अपने सिपाहियों के साथ शमशाम घाट में जाकर उसका अंतिम संस्कार किया ।

जनपद फरूखाबाद मऊ थाना क्षेत्र के टाउन हॉल में रहने वाले सोनू बाथम (30) के माता पिता का 15 साल पहले निधन हो चुका था । सोनू बाथम को छोटा बड़ा भाई मोनू परिवार के साथ दिल्ली में रहता है और मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करता है । सोनू बाथम लंबे समय से बिमार चल रहा था ।

सोनू के पड़ोस में रहने वाले सर्वेश ने जनपद के सरकारी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बीते 15 सितंबर को भर्ती कराया था । इलाज के दौरान सोनू की मौत हो गई । अस्पताल के डॉक्टरों ने सोनू के मौत की खबर मऊ थाने में दी । सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया ।

जब इस घटना की जानकारी मऊ थाने के इंस्पेक्टर डॉ विनय प्रकाश राय को हुई तो उन्होने मृतक के परिजनो और रिश्तेदारों से संर्पक किया । पता चला कि माता पिता का निधन हो चुका है और भाई दिल्ली में रह कर मजदूरी करता है । इंस्पेक्टर विनय प्रकाश रॉय ने मृतक के पड़ोसियों से उसके भाई का नंबर लिया ।

इंस्पेक्टर विनय प्रकाश रॉय ने बताया कि जब मैन उसके भाई से बताया कि तुम्हारे भाई का निधन हो गया है । उसका अंतिम संस्कार करने के लिए शव ले जाओ । तुम्हारे रिश्तेदारों ने शव लेने से इंकार कर दिया है । मृतक के भाई ने कहा कि मै दिल्ली से नहीं आ पांउगा । आप जैसा चाहो करो मुझसे कोई मतलब नही है  ।

जब इंस्पेक्टर ने उससे पूछा कि क्या वजह है जो नही आ पाओगे । तो वो फूट-फूट कर रोने लगा । उसने बताया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि भाई का अंतिम सस्कार कर सकूं । तो मैने कहा कि तुम आ जाओ हम लोग तुम्हारी मदद कर देंगे । मृतक भाई ने कहा कि नहीं आ सकता हूं यदि मैं आया तो मेरी मजदूरी छूट जाएगी । फिर मै बीवी बच्चों को क्या खिलाउंगा। बड़ी मुश्किल से मुझे से काम मिला है बच्चे की तबियत ठीक नही है । मेरे पास इतने पास इतने पैसे नहीं है कि मै फर्रूखाबाद आ संकू । फिर मै उसका अंतिम संस्कार और क्रियाकर्म क्या कर पांउगा ।

जब उसका पोस्टमार्टम हो गया तो मुझे सिपाहियों ने बताया कि कोई शव लेने के तैयार है । मैने खुद फोर्स लेकर पहुंचा उसके शव को शमशान घाट पर ले गया । उसका पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया । उसके शव को अग्नि दिलाई ।

इंस्पेक्टर विनय प्रकाश रॉय के इस कार्य की सभी सराहना कर रहे है । सोशल मीडिया पर उनके इस काम की लोग जमकर तारीफ कर रहे है । उनके फॉलोवर उनको सैल्यूट कर रहे है ।

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