अटल बिहारी वाजपेयी के 6 यादगार भाषण

By Team MynationFirst Published Aug 16, 2018, 4:49 AM IST
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निसंदेह अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति के सबसे कुशल वक्ता रहे हैं। वह एक ऐसे पीएम रहे जो अपने विरोधियों को अपने जवाबों से निरुत्तर कर देते। उनके 6 यादगार भाषणों पर एक नजर।

हाजिर जवाबी, मजाकिया लहजा, मुहावरों का प्रयोग और शब्दों के भेदने वाले बाण। अटल बिहारी वाजपेयी अपने भाषणों में इनका बखूबी इस्तेमाल करते रहे। निसंदेह अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति के सबसे कुशल वक्ता रहे। वह एक ऐसे पीएम रहे जो अपने विरोधियों को अपने जवाबों से निरुत्तर कर देते। उनके पांच यादगार भाषणों पर एक नजर।
 
1. अंधेरा छंटेगा, कमल खिलेगा
भाजपा की 1980 में हुई पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उनका भाषण सबसे यादगार माना जाता है। अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने देश की राजनीति के साथ ही उन नेताओं पर भी सवाल खड़े किए जो पद और प्रतिष्ठा की ताक में रहते हैं। अटल जी ने कहा था, ‘भाजपा राजनीति में राजनीतिक दलों में, राजनेताओं में, जनता के खोये हुए विश्वास को पुन: स्थापित करने के लिए जमीन से जुड़ी राजनीति करेगी, जोड़तोड़ की राजनीति का कोई भविष्य नहीं है। पद, पैसे और प्रतिष्ठा के पीछे पागल होने वालों के लिए हमारे यहां कोई जगह नहीं है। जिन्हें आत्मसम्मान का अभाव हो वे दिल्ली के दरबार में जाकर मुजरे झाडे़। हम तो एक हाथ में भारत का संविधान और दूसरे में समता का निशान लेकर मैदान में कूदेंगे। हम छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और संघर्ष से प्रेरणा लेंगे। सामाजिक समता का बिगुल बजाने वाले महात्मा फुले हमारे पथ प्रदर्शक होंगे। भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खडे़ होकर मैं यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।’
 


2. धर्मनिरपेक्षता पर
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों को आड़े हाथ लेते हुए अटल ने कहा था, 'पलासी के युद्ध के दौरान लड़ने वालों से मूक दर्शक बने लोगों की संख्या ज्यादा थी। देश के भाग्य का फैसला होने वाला था लेकिन पूरा देश इस फैसले में शामिल नहीं था। मैं विदेश मंत्री की हैसियत से अफगानिस्तान गया था। जब मैंने उसने गजनी जाने का बात कही तो वे हैरान थे।'
 

3. जीत पर विनम्रता और हार पर आत्मचिंतन होना चाहिए
संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, 'जीत पर हम विनम्र हैं और हर पर आपको आत्ममंथन करना चाहिए।'
 


4.  सावरकर तीर और तलवार
अटल बिहारी वाजपेयी ने वीर सावरकर को लेकर कहा था, 'सावरकर का अर्थ तेज, बलिदान, तपस्या, तत्व और तर्क है। सावरकर का अर्थ तीर और तलवार है।'
 


5. जमीन समतल करनी पड़ेगी
लखनऊ में 05 दिसंबर 1992 को भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया था। कारसेवा से ठीक एक दिन पहले उस रैली में अटल जी ने कहा था, ‘वहां (अयोध्या) नुकीले पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा।’
 


6. क्या आत्मरक्षा की तैयारी तभी होगी जब खतरा होगा
पोखरण परमाणु परीक्षण पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था कि क्या हम आत्मरक्षा की तैयारी तभी करेंगे जब खतरा होगा। पहले तैयारी रहेगी तो ऐसे किसी भी खतरे को टाला जा सकता है। 
 

 
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