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वसंत पंचमीः भारत के पांच प्रसिद्ध सरस्वती मंदिर

Published : Feb 10, 2019, 10:51 AM IST
वसंत पंचमीः भारत के पांच प्रसिद्ध सरस्वती मंदिर

सार

- सरस्वती मां को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। 

वसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्ध‌ि की देवी मां सरस्वती जी के प्रकाट्य दिवस के रूप मे जाना जाता है। हालांकि ऋतुओं मे श्रेष्ठ कहे जाना वाला वसंत प्रतिपदा से ही प्रारंभ हो जाता है, पर पंचमी के दिन लोगों का ध्यान इस ऋतु के लिए ज्यादा आकर्षित होता है। मौसम में आसानी से उपलब्‍ध होने वाले पीले फूलों को मां सरस्वती को चढ़ाए जाने की महिमा है। सरस्वती मां को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। 

श्री विद्या सरस्वती मंदिर, वारंगल 

यहां हंस वाहिनी विद्या सरस्वती मंदिर में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के मेंढक जिले के वारंगल में स्थित है। कांची शंकर मठ मंदिर का रखरखाव करता है। इसी स्‍थान पर अन्य देवी-देवताओं के मंदिर जैसे श्री लक्ष्मी गणपति मंदिर, भगवान शनीश्वर मंदिर, और भगवान शिव मंदिर निर्मित हैं।

सरस्वती मंदिर, पुष्कर

राजस्थान का पुष्कर जहां अपने ब्रह्मा मंदिर के लिए मशहूर है, वहीं विद्या की देवी सरस्वती का भी प्रसिद्ध मंदिर है। यहां सरस्‍वती के नदी रूप के भी प्रमाण मिलते हैं और उन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।

ज्ञान सरस्वती मंदिर, आदिलाबाद, आंध्र प्रदेश

सरस्वती के बहुत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में है। इसे प्रसिद्ध बासर या बसरा नाम से बुलाया जाता है। बासर में देवी ज्ञान सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले। वे गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की आराधना की। उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों की प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं।

शारदंबा मंदिर, श्रृंगेरी, कर्नाटक

ज्ञान और कला की देवी को समर्पित, शारादंबा दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, 14वीं शताब्दी के दौरान इष्टदेव की चंदन की प्राचीन प्रतिमा को सोने और पत्थर से अंकित कर प्रतिस्थापित किया गया था। कर्नाटक के श्रृंगेरी स्थित इस मंदिर में सरस्वती देवी के अलावा स्फटिक का शिवलिंग भी स्थापित है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस शिवलिंग को भगवान शिव ने स्वयं शंकराचार्य को दिया था। 

सरस्वती मंदिर, पनाचिक्कड़, केरल

पनाचिक्कड़ स्थित ये केरल का एकमात्र मंदिर है जो देवी सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर चिंगावनम के पास स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था। उन्होंने इस प्रतिमा को खोजा और इसे पूर्व की तरफ मुख करके स्थापित किया । पश्चिम की तरफ मुख करके एक और प्रतिमा की स्थापना की गई लेकिन उसका कोई आकार नहीं है। प्रतिमा के पास एक दीया है जो हर वक्त जलता रहता है।
 

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