Lok Sabha elections 2024: भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव लड़ने से क्यों किया इंकार, सामने आए ये वजह

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Mar 3, 2024, 5:20 PM IST

लोकसभा चुनाव 2024 में भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। उन्होंने 03 मार्च को अपने एक्स हैंडल पर चुनाव लड़ पाने में असमर्थता जताई है। चुनावी दंगल में उतरने से पहले ही पवन सिंह का इस तरह से बैकफुट पर जाना तमाम सवाल पैदा कर रहा है।

नई  दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की पहली लिस्ट जारी हो चुकी है। 195 कैंडिडेट वाली इस लिस्ट में आसनसोल से भोजपुरी स्टार पवन सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था। इसकी जानकारी होने के बाद भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। उन्होंने 03 मार्च को अपने एक्स हैंडल पर चुनाव लड़ पाने में असमर्थता जताई है। चुनावी दंगल में उतरने से पहले ही पवन सिंह का इस तरह से बैकफुट पर जाना तमाम सवाल पैदा कर रहा है। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जिसमें टीएमसी कैंडिडेट और फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा से सीधा मुकाबला और आसनसोल सीट पर वर्ष 2022 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की हुई करारी हार मुख्य वजह मानी जा रही है।

दो बिहारियो की सीधी टक्कर से कतरा रहे पवन सिंह
मैदान में उतरने के पहले ही हथियार डाल दिए। क्यों? क्या फिल्म अभिनेता से राजनेता बने बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा से मुकाबला की नौबत से बचने के लिए! या, 2022 के उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की भाजपा प्रत्याशी पर बड़ी हार का डर समझने के बाद यह फैसला लिया। या, 2022 के उपचुनाव में तृणमूल के अकेले लड़ने और इस बार वामदल और कांग्रेस समेत इंडी एलायंस के साझा उम्मीदवार के सामने खुद को अकेला पाने के डर से यह निर्णय लिया।

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दिल से आभार प्रकट करता हु।
पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके आसनसोल का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन किसी कारण वश में आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा…

— Pawan Singh (@PawanSingh909)

 

सोशल मीडिया पर लिखे शब्दों से निकली इंकार के पीछे की असली वजह
पवन सिंह ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके आसनसोल का उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन किसी कारणवश मैं आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा।" जिसका अर्थ तो स्पष्ट है कि अगर पवन सिंह को कही और से टिकट मिलता तो वह जरूर चुनाव लड़ते। असली दिक्कत आसनसोल सीट है। वर्ष 2022 में टीएमसी कैंडिडेट ने अकेले बीजेपी प्रत्याशी को तगड़ी पटखनी दी थी। इस बार तो इंडी गठबंधन के प्रत्याशी से बीजेपी कैंडिडेट का मुकाबला होना है। हालाकि उनके प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही मोदी सरकार में मंत्री रहे टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो ने लिखा, "आसनसोल को पवन सिंह मुबारक हो।"

बिहारियो की बड़ी आबादी वाली सीट आसनसोल से शत्रुघ्न के मुकाबले खुद को कमतर आंक रहे पवन सिंह
पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां बिहारियो की आबादी अधिक है। टीएमसी पहले से ही बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को यहा से प्रत्याशी घोषित कर रखा है। ऐसे में बिहारियो के बीच बिहारी से बिहारी का मुकबला पवन सिंह के लिए काटो भरा हो सकता है। यहा बिहारियो का राज्य के अन्य हिस्सों की अपेक्षा ज्यादा सम्मान है। यहां भोजपुरी भाषा और फिल्मों दोनों का क्रेज है। बीजेपी ने इसलिए पवन सिंह को उतारा है, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा जैसी विराट शख्सियत के सामने पवन सिंह को खुद को बौना साबित होने का डर सता रहा है। दूसरी बात दो बिहारियो के बीच सीधा मुकाबला भी पावन सिंह को नही रास आ रहा है। इस बात की भी चर्चा है कि पवन सिंह ने कदम पीछे खींचने से पहले शत्रुघ्न सिन्हा से भी बात की होगी। उसके बाद ही ये फैसला लिया है।

वर्ष 2022 के मुकाबले बहुत पीछे है बीजेपी
वर्ष 2019 में बीजेपी कैंडिडेट रहे बाबुल सुप्रियो यहां से विजई हुए थे। वर्ष 2022 में वह सांसदी और बीजेपी से इस्तीफा देकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उसके बाद यहां 2022 में फिर चुनाव हुआ। जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा ने टीएमसी कैंडिडेट के रूप में 6.5 लाख वोट पाकर बीजेपी प्रत्याशी अग्निमित्रा पाल को करीब तीन लाख वोटो से करारी शिकस्त दी थी। महज दो साल के कार्यकाल में शत्रुघ्न सिन्हा का ऐसा कोई फीडबैक गड़बड़ नहीं गया है, जिसको बीजेपी या पवन सिंह भुना सके। साथ ही बीजेपी के खिलाफ इंडी गठबंधन की रही-सही एकता भी कायम रह गई तो पीएम मोदी के लिए यह सीट जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा। इंडी गठबंधन के करीब 7.5 लाख वोटो के मुकाबले बीजेपी के 3.5 लाख वोट किसी भी कीमत में पवन सिंह को जीत की चौखट पर नहीं। पहुंचा पा रहे है।

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