भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया है।
Amit Shah Loksabha. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं। यह बिल 19वीं सदी के कानूनों की जगह लेंगे। इनमें भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करके तीन नए कानूनों वाला विधेयक भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया है। इन कानूनों की समीक्षा के लिए इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया है।
राजद्रोह कानून खत्म किया गया
आईपीसी को अंग्रेजों ने 1860 में तैयार किया था और यह 160 से अधिक वर्षों से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की रीढ़ के तौर पर काम करता रहा है। इसके अलावा राजद्रोह कानून को अब निरस्त कर दिया गया है। आईपीसी की धारा 124ए राजद्रोह को अपराध बनाती है, जबकि अब इसकी जगह सेक्शन 150 लागू किया जाएगा। राजद्रोह को भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले अपराध के तौर पर लागू किया जाएगा।
किस कानून की जगह कौन सा बिल आएगा
क्या कहता है प्रस्तावित राजद्रोह कानून
भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 की धारा 150 में राजद्रोह को अपराध माना गया है। हालांकि अब इसके लिए देशद्रोह शब्द का उपयोग नहीं किया जाएगा। लेकिन अपराध को भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के रूप में माना गया है। इसमें इसमें कहा गया है कि जो कोई जानबूझकर. बोले गए या लिखित शब्दों से, संकेतों या फोटो द्वारा, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन या फिर धन का उपपोयग करते देश के प्रति विध्वंसक, देश के प्रति अलगाववादी भावनाओं को उत्तेजित या प्रोत्साहित करेगा, वह अपराध माना जाएगा। इसके लिए कानून में 7 साल से अधिक की जेल और जुर्माने के साथ ही आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
यह भी समझना जरूरी है
इस कानून के तहत ऐसे कमेंट भी शामिल हैं जो बिना कानूनी तरीके से सरकार की नीतियों, प्रशासनिक कार्यों या अन्य कार्यों का विरोध करते हैं।
अभी कौन सा राजद्रोह कानून लागू है?
आईपीसी की धारा 124ए के अनुसार जो कोई भी कानून द्वारा स्थापित सरकार के संबंध में नफरत या अवमानना को उकसाता है। भाषण या लेखन, इशारों, फोटो या अन्य माध्यमों से ऐसा करने का प्रयास करता है, उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है।
स्पष्टीकरण 1- असंतोष शब्द में सभी तरह की दुश्मनी और वफादारी की कमी शामिल है।
स्पष्टीकरण 2- ऐसे कमेंट्स जो घृणा, अवमानना, असंतोष भड़काने या उकसाने का प्रयास किए बिना कानूनी चैनलों के माध्यम से उन्हें बदलने के उद्देश्य से सरकारी कार्यों की आलोचना करती हैं, वह अपराध की श्रेणी में नहीं होंगी। कमेंट का उद्देश्य पॉजिटिव होना चाहिए।
स्पष्टीकरण 3- ऐसे कमेंट जो किसी सरकारी नीति या अन्य कार्रवाई के प्रति घृणा, अवमानना, असंतोष भड़काने या उकसाने का प्रयास करती हैं, वह अपराध की श्रेणी में आएंगी।
यह भी पढ़ें
बंगाल चुनाव हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर बरसे पीएम मोदी, कहा- 'खूनी खेल खेला है'