शिवसेना ने ऐसी क्या शर्त रख दी, जिससे बढ़ गयी हैं बीजेपी की मुश्किलें

By Team MyNation  |  First Published Jun 6, 2019, 12:41 PM IST

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। शिवसेना ने राज्य में 18 सीटों पर जीत हासिल की है। जिसके कारण केन्द्र की नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में शिवसेना को एक कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया। हालांकि शिवसेना किसी अहम मंत्रालय को चाहती थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी शिवसेना के कोटे में भारी उद्योग मंत्रालय को रखा। ये मंत्रालय पहले भी शिवसेना के ही पास था।

नई दिल्ली। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में अहम पद न मिलने से नाराज शिवसेना अब लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद चाहती है। शिवसेना का कहना है कि सहयोगी दलों में सबसे ज्यादा सांसद शिवसेना के हैं, लिहाजा इस पद पर पहला हक उनका बनता है। हालांकि फैसला बीजेपी को लेना है। लेकिन इस पद पर दावा कर शिवसेना ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। शिवसेना ने राज्य में 18 सीटों पर जीत हासिल की है। जिसके कारण केन्द्र की नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में शिवसेना को एक कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया। हालांकि शिवसेना किसी अहम मंत्रालय को चाहती थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी शिवसेना के कोटे में भारी उद्योग मंत्रालय को रखा।

ये मंत्रालय पहले भी शिवसेना के ही पास था। लिहाजा इस बार भी उसे यही मंत्रालय दिया गया। जिसको लेकर वह नाराज चल रही है। लिहाजा अब शिवसेना ने लोकसभा में डिप्‍टी स्‍पीकर के पद के लिए दावा किया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि इस पर हमारा स्‍वभाविक हक बनता है और ये शिवसेना को मिलना चाहिए।

हालांकि दो दिन पहले चर्चा चली थी कि बीजेपी इस पद को बीजू जनता दल को देना चाहती है। इससे एक तरह विपक्षी दलों को भी बीजेपी अपने पाले में ला सकेगी और जब कभी उसे राज्यसभा में समर्थन की जरूरत होगी तो वह विपक्षी दलों से समर्थन ले सकेगी।

खासतौर से बीजू जनता दल से। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से नई लोकसभा में डिप्टी स्पीकर पद के लिए दावा किया था। बहरहाल शिवसेना की इस मांग से बीजेपी की मुश्किलें जरूर बढ़ेंगी।

क्योंकि शिवसेना पूर्व की बीजेपी सरकार में भी अपनी नाराजगी जता चुकी है। जिसके बाद उसने राज्य में लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन बाद में बीजेपी ने शिवसेना को मनाया और राज्य में मिलकर चुनाव लड़ा।

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