'सुलभ क्रांति' के जनक बिंदेश्वर पाठक का निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख

By Anshika Tiwari  |  First Published Aug 15, 2023, 5:39 PM IST

दुनिया को टॉयलेट का महत्व बताने वाले और करोड़ों लोगों की जिंदगी आसान बनाने वाले सुलभ इंटरनेशल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। 

नेशनल डेस्क। दुनिया को टॉयलेट का महत्व बताने वाले और करोड़ों लोगों की जिंदगी आसान बनाने वाले सुलभ इंटरनेशल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। बता दें, राष्ट्रीय राजधानी में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान उनकी आज अचानक तबियत बिगड़ गई थी जिसके बाज उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। 

पीएम मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक 

बिहार के महनार ने आज बहुत बड़े धरोहर को खो दिया। बिंदेश्वर महनार नुमंडल क्षेत्र अंतर्गत सहदेई के रामपुर बघेल के निवासी थे। उनका निधन भारत के लिए एक झटका है। प्रधानमंत्री ने भी बिंदेश्वर पाठक के निधन पर ट्वीट कर दुख प्रकट किया है। वैसे आज हम हर गांव-शहर में जो सुभल सौचालय देखते हैं उसका श्रेय बिंदेश्वर पाठक जाता है। उन्होंने सुलभ शौचालय को इंटरनेशनल ब्रांड बनाया। भारत में शौचालय की क्रांति लाने वाले बिंदेश्वर पाठक ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से पहले सफाई को लेकर बेहतरीन पहल की थी। उन्होंने सामाजिक विकास और मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। इसके लिए उन्हें दुनियाभर में पहचान मिली। 

The passing away of Dr. Bindeshwar Pathak Ji is a profound loss for our nation. He was a visionary who worked extensively for societal progress and empowering the downtrodden.

Bindeshwar Ji made it his mission to build a cleaner India. He provided monumental support to the… pic.twitter.com/z93aqoqXrc

— Narendra Modi (@narendramodi)

 

घर में नहीं था एक भी शौचालय

बिंदेश्वर पाठक का पालन-पोषण ऐसे घर में हुआ जहां रहने के लिए को 9 कमरे थे लेकिन घर की महिलाएं शौच के लिए बाहर जाती थीं। इससे उन्हें कई बीमारियों हो जाती थीं। ये सब देखर बिंदेश्वर बेचैन हो गए थे। वह इस समस्या का हल निकालाना चाहते थे और उन्होंने कुछ नया करने की ठानी। 1968-69 में बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ उन्होंने शौचालय तकनीक को विकसित करने और खुले में शौच की समस्या पर काम किया। 

1970 में बनाया डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय

बात 1970 की है जब बिंदेश्वर पाठक ने सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की। यह एक सामाजिक संगठन था। सुलभ इंटरनेशनल ने दो गड्ढों वाला फ्लश टॉयलेट डेवलप किया। उन्होंने डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय का अविष्कार किया। इसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाले सामान से आसानी से बनाया जा सकता था। फिर उन्होंने देशभर में सुलभ शौचालय बनाना शुरू किया। 

बिंदेश्वर पाठक को पद्म भूषण से किया गया सम्मानित 

1999 में बिंदेश्वर पाठक को पद्म भूषण से सम्मानित किय गया था। साल 2003 में उनका नाम विश्व में 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों में की लिस्ट में शामिल था। इतना ही नहीं बिंदेश्वर पाठक को एनर्जी ग्लोब समेत दुनिया के कई दूसरे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। 

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