डब्ल्यूएचओ ने माना मोदी सरकार की इस योजना का लोहा, जमकर की तारीफ

By Team MynationFirst Published Sep 19, 2018, 7:42 PM IST
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विश्व स्वास्थ्य संगठन कहा है कि भारत सरकार की हर बच्चे को जीवनरक्षक टीके लगाने जैसी कई पहलों से पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर घटाना संभव हो सका है।

पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामलों को दस लाख से कम के आंकड़े पर लाने के भारत के प्रयासों की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सराहना की है। डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को कहा कि हर बच्चे को ‘मिशन इंद्रधनुष’ के तहत जीवनरक्षक टीके लगाने जैसी कई पहलों से यह संभव हो सका है।

शिशु मृत्युदर आकलन के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंतर-एजेंसी समूह (यूएनआईजीएमई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामलों को कम करने में सकारात्मक रुख देखने को मिला है और पांच साल में पहली बार पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले दस लाख से कम होकर 2017 में 9,89,000 पर पहुंच गए हैं। 

2016 में भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के 10.8 लाख मामले दर्ज किए गए थे। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि एजेंसी की रिपोर्ट में दुनिया भर में बच्चों की मौत के मामलों में भारत के मामलों की संख्या 2012 में 22 प्रतिशत से कम होकर 2017 में 18 प्रतिशत हो गई। यह दर वैश्विक कमी से ज्यादा है।

सिंह ने कहा, ‘भारत की उल्लेखनीय प्रगति पिछले कुछ साल में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई अनेक पहलों के चलते संभव हुई है इनमें हर बच्चे को इंद्रधनुष मिशन के तहत टीका लगाना शामिल है ताकि देशभर में डायरिया और निमोनिया के प्रबंधन का विस्तार किया जा सके।

डब्ल्यूएचओ के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा, मैं शिशु मृत्यु दर कम करने के सतत प्रयासों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में अपनी टीम और हमारे राज्यो को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशन में हमारा मंत्रालय नियमित टीकाकरण और अस्पतालों में प्रसव पर ध्यान दे रहा है।’  

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में प्रत्येक दो मिनट में औसतन तीन नवजात की मौत पानी की उपलब्धता में कमी, स्वच्छता, पर्याप्त पोषण या सामान्य स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में होती है। 2017 में करीब 8,02,200 नवजात की मौत दर्ज की गई। यह भी पांच साल में सबसे कम है। 

क्या है मिशन इंद्र धनुष

आंशिक टीकाकरण या इससे पूरी तरह वंचित बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने 25 दिसंबर, 2014 को ‘मिशन इंद्रधनुष’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। ‘मिशन इंद्रधनुष’ एक राष्ट्रव्यापी पहल है और इसका विशेष ध्यान देश के उन 201 जिलों पर है, जिनमें आंशिक तौर पर टीकाकरण कराने वाले या उससे पूरी तरह वंचित लगभग  50% बच्चे रहते हैं। मिशन इंद्रधनुष सात बीमारियों (डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस-बी) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत 2020 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 90 प्रतिशत क्षेत्रों को शामिल किया जाना है। मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों के तहत 2.53 करोड़ बच्चों और 68 लाख गर्भवती महिलाओं को जीवनरक्षक टीके लगाए गए हैं। मिशन इंद्रधनुष पहले दो चरणों में टीकाकरण में 6.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है।

लांसेट ने भी की थी ‘आयुष्मान भारत’ की तारीफ

ब्रिटेन की मशहूर चिकित्सा पत्रिका लांसेट ने कुछ दिन पहले कहा था कि नरेंद्र मोदी ‘आयुष्मान भारत’ कार्यक्रम के तहत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता देने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। पत्रिका के प्रधान संपादक रिचर्ड होर्टन ने कहा है कि मोदी ने गैर संक्रामक रोगों से घिरे भारत में स्वास्थ्य के महत्व को न केवल नागरिकों के प्राकृतिक अधिकार के तौर पर बल्कि उभरते मध्यवर्ग की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राजनीतिक औजार के तौर पर लिया है। आलेख में कहा गया, ‘सालों की अनदेखी के बाद भारत सरकार ने स्वास्थ्य के बारे में व्यापक जन असंतोष को पहचाना। इस साल शुरु की गयी आयुष्मान भारत नामक पहल के तहत प्रधानमंत्री ने दो नए अहम कार्यक्रम शुरु किए।’‘आयुष्मान भारत के दो स्तंभ हैं - सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए प्राथमिक देखभाल सुविधाओं को आधार प्रदान करने के लिए 1,50,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का निर्माण तथा सलाना पांच लाख रुपये प्रति परिवार का कवरेज प्रदान करना। इस स्वास्थ्य बीमा से दस करोड़ से अधिक गरीब परिवार लाभान्वित होंगे।’ लांसेट ने अप्रैल 2011 में मनमोहन सरकार के समय भारत को खतरनाक जगह करार देते हुए विदेशियों को वहां नहीं जाने की सलाह दी थी। (पीटीआई इनपुट के साथ)

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