थोक महंगाई दर तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंची

By Team MyNation  |  First Published Dec 14, 2018, 6:51 PM IST

सब्जियों और खाने-पीने की दूसरी वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की वजह से नवंबर में थोक महंगाई दर में कमी आई।

थोक वस्तुओं की महंगाई दर नवंबर में तीन महीने के सबसे निचले स्तर 4.64 फीसदी पर आ गई। 

शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए। जिसके मुताबिक नवंबर में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 3.31 फीसदी की गिरावट आई, जबकि अक्तूबर में यह आंकड़ा 1.49 फीसदी था। साथ ही बीते महीने सब्जियों की कीमतें घटी हैं, जिसमें 26.98 फीसदी की गिरावट देखी गई, जबकि अक्तूबर में यह गिरावट 18.65 फीसदी थी। 

डब्ल्यूपीआई के निचले स्तर पर रहने की वजह सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आना है।  सब्जियों और खाने-पीने की दूसरी वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की वजह से नवंबर में थोक महंगाई दर में कमी आई। नवंबर में आलू की कीमतों में 86.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि प्याज 47.60 फीसदी और दालें 5.42 फीसदी सस्ती हुईं। अक्तूबर में आलू 93.65 फीसदी महंगा हुआ था और प्याज की कीमतें 31.69 फीसदी गिरी थीं। 

पिछली तिमाही के आंकड़ो में अगस्त में मुद्रास्फीति 4.62 फीसदी रही थी। हालांकि अक्तूबर में थोक महंगाई 5.28 फीसदी थी, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 4.02 फीसदी थी। 
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 16.28 फीसदी के उच्च स्तर पर बनी रही। यह अक्तूबर की 18.44 फीसदी मुद्रास्फीति स्तर से कम है। इसकी अहम वजह पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट है।
 
डब्ल्यूपीआई में शामिल वस्तुओं को विभिन्न वर्गों में बांटा जाता है। थोक बाजार में इन वस्तुओं के समूह की कीमतों में हर बढ़ोतरी का आकलन थोक मूल्य सूचकांक के जरिए होता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) खुदरा (रिटेल) महंगाई का इंडेक्स है। खुदरा महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।

यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। 
अच्छे मानसून और खाद्य कीमतों के सामान्य बने रहने का हवाला देते हुए केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.7 से 3.2 फीसदी तक कर दिया था।

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