दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन न पाने का ठिकरा आप और कांग्रेस के नेता दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर फोड़ रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि शीला की जिद के कारण कांग्रेस नेता अजय माकन की एक न चली और दोनों नेता एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए राहुल गांधी के सामने ही भिड़ गए।
नई दिल्ली।
दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन न पाने का ठिकरा आप और कांग्रेस के नेता दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर फोड़ रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि शीला की जिद के कारण कांग्रेस नेता अजय माकन की एक न चली और दोनों नेता एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए राहुल गांधी के सामने ही भिड़ गए।
अब ये तय हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन नहीं होगा। हालांकि सुबह से मीडिया में जबरदस्त चर्चा थी कि कांग्रेस और आप में चुनाव गठबंधन हो गया है और आज शाम तक इसकी घोषणा हो सकती है। लेकिन शाम को कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह दिल्ली में आप से कोई चुनाव गठबंधन नहीं करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर चर्चा के लिए दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और अन्य नेताओं की बैठक बुलाई। इस बैठक में शीला के साथ ही दिल्ली प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन को भी बुलाया गया था।
बैठक के बाद शीला दीक्षित ने केजरीवाल के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर इनकार कर दिया। जबकि माकन आप के साथ गठबंधन के पक्ष में थे। हालांकि कुछ दिन पहले ही आप ने दिल्ली की सात में से छह सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम तय किए थे और उसे बाद भी आप कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करना चाहती थी। कहा ये जा रहा है कि इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष शीला दीक्षित के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, वर्तमान दो कार्यकारी अध्यक्ष, एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको मौजूद थे।
इस बैठक में माकन ने तर्क दिए कि अगर कांग्रेस ने आप से गठबंधन नहीं किया तो भाजपा सातों सीटें जीत सकती है। ऐसे में इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। लेकिन शीला के तर्क थे कि पार्टी को इंटी इनक्बैंसी का फायदा मिलेगा। लिहाजा पार्टी दिल्ली में मजबूत स्थिति में है। शीला दीक्षित और उनकी टीम पूरी तरह से आप से गठबंधन के पक्ष में नहीं ते और गठबंधन से इनकार कर अकेले ही लड़ने को तवज्जो दी। इस मुद्दे पर शीला और माकन के बीच जबरदस्त बहस हुई, लेकिन आखिरकार शीला की बात आलाकमान ने मानी।