पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री राज्य में हुए चिट फंड घोटाले के आरोपियों को बचाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। लेकिन 37(सैंतीस) हजार करोड़ का यह घोटाला बहुत बड़ा था। जिसके चक्रव्यूह में आकर कई मासूम लोगों की जानें चली गईं। कई लोगों ने तो अपने पैसे चले जाने पर निराश होकर आत्महत्या ही कर ली।
लेकिन आज ममता बनर्जी बनाम सीबीआई के इस चुनावी दंगल में इन असहाय जिंदगियों की सुध कोई नहीं ले रहा है।
सारदा चिट फंड घोटाला जिसमें डीजीपी राजीव कुमार और तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की संलिप्तता का संदेह है, उसमें कई लोगों की जिंदगियां छीन ली और जो लोग जिंदा हैं उनका जीवन नर्क के समान हो गया है।
1.रंजीत प्रमाणिक- एक जरी कामगार, जो कि राजधानी कोलकाता से जुड़े 24 परगना के जयनगर इलाके का रहने वाला था। उसने नायलॉन की रस्सी से खुद को लटकाकर खुदकुशी कर ली थी। क्योंकि इस चिटफंड घोटाले में उसकी पूरी जमापूंजी स्वाहा हो गई थी।
रंजीत स्थानीय स्तर पर एक नाई की दुकान चलाता था। उसने बड़ी मुश्किल से 3 हजार रुपए जमा किए थे। उसे चार साल बाद 7500 रुपए देने का वादा किया गया था। लेकिन कंपनी पैसे लेकर भाग गई। जिसके बाद रंजीत प्रमाणिक ने रस्सी खरीदी और खुद को फांसी लगा ली।
2.अजीत सील- यह शख्स अपनी बेटी ‘अपरुपा’ के नाम से एक चिटफंड कंपनी चलाता था। उसने भी 24 परगना जिले के फाल्टा इलाके में आत्महत्या कर ली। उसने पूरे राज्य में 150 दफ्तर खोल रखे थे। उसने कई हजारों छोटे निवेशकों से एक बड़ी रकम एकत्रित की थी। इतने बड़े कर्ज का भार उठा नहीं पाया और आत्महत्य कर ली। उसने अपनी कलाई काट ली थी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वह इसलिए आत्महत्या कर रहा है क्योंकि वह निवेशकों के पैसे लौटाने में सक्षम नहीं था।
3. उर्मिला प्रामाणिक- बरुईपुर जिले की रहने वाली उर्मिला ने सारदा घोटाले की वजह से आत्महत्या कर ली। उसने सारदा ग्रुप की स्मॉल सेविंग स्कीम में 30 हजार रुपए लगाए थे।
4. तपन बिस्वास- पुरुलिया जिले के बलरामपुर के रहने वाले तपन ने इस घोटाले की वजह से जान दे दी। तपन ने सारदा की स्कीमों में 60 हजार रुपए लगाए थे।
5. लक्ष्मण घोरुई- यह डायमंड हार्बर इलाके कलिंगानगर का रहने वाला था। वह सारदा कंपनी का एजेन्ट था। उसने छोटे निवेशकों से 60 लाख रुपए इकट्ठा किए थे। लेकिन कंपनी के भाग जाने के बाद उसने जहर खाकर जान दे दी।
6. तापसी सिंगला- यह भी चिट फंड कंपनी की एजेन्ट थी। उसने 5.30 लाख रुपए इकट्ठा किए थे। लेकिन कंपनी के भाग जाने के बाद उसने नींद की गोलियां खाकर जान दे दी।
7. शंकर बरुआ- यह असम पुलिस के पूर्व डीजी थे। वह 1974 बैच के आईएएस अधिकारी थे। उनका नाम भी घोटाले के आरोपियों के साथ आया था। जिसके बाद उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर जान दे दी।
8. जयंत सरकार – यह हेलो इंडिया नाम की चिट फंड कंपनी का डायरेक्टर था। आरोप है कि उसकी हत्या संदिग्ध रुप से निवेशकों ने कर दी। जयंत की लाश हुगली जिले के चुंचुरा इलाके में उसके घर में मिली। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक कूचबेहार के रहने वाले अभिजीत साहा और अब्दुल्ला तथा हरिनघाटा के रहने वाले बिप्लब बिस्वास ने उसकी हत्या की थी।
9. जगदीश रॉय- 60 साल की उम्र का यह शख्स एक चिट फंड कंपनी के एजेन्ट बिधान रॉय का पिता था। वह सोदेपुर के ऋषि बंकिम गार कॉलोनी स्थित अपने घर में फांसी लगाए हुए मृत पाए गए।
10. स्वप्न कुमार बिस्वास- सारदा ग्रुप का कलेक्शन एजेन्ट, उसने खुद को फांसी पर लटकाकर खुदकुशी कर ली। उसकी लाश पुरुलिया जिले के बलरामपुर स्थित उसके घर में मिली। बिस्वास ने अपनी बचत के चार लाख रुपए इस घोटालेबाज कंपनी में लगाए थे।