माया ने दो बार किया गेस्ट हाउस कांड का जिक्र और अखिलेश रहे खामोश !

By Team MyNation  |  First Published Jan 13, 2019, 3:35 PM IST

सपा की तरफ से अखिलेश यादव तो बसपा की तरफ से मायावती ने गठबंधन का ऐलान किया. हालांकि इस दौरान मायावती ने दो बार लखनऊ के एक सरकारी गेस्ट हाउस में 1995  में हुए चर्चित ‘‘गेस्ट हाउस कांड’ को दो बार याद किया. जबकि सपा की तरफ से अखिलेश यादव खामोश रहे.

उत्तर प्रदेश की राजनीति गठबंधन राजनीति की एक नई शुरूआत शनिवार को हुई है. परस्पर एक दूसरे के विरोधी राजनैतिक दल सपा और बसपा एक मंच पर आए और आगामी लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया. सपा की तरफ से अखिलेश यादव तो बसपा की तरफ से मायावती ने गठबंधन का ऐलान किया. हालांकि इस दौरान मायावती ने दो बार लखनऊ के एक सरकारी गेस्ट हाउस में 1995  में हुए चर्चित ‘‘गेस्ट हाउस कांड’ को दो बार याद किया. जबकि सपा की तरफ से अखिलेश यादव खामोश रहे.

अभी तक मायावती गेस्ट हाउस कांड के लिए अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव को ही जिम्मेदार मानती आयी है. असल में मायावती सपा नेताओं को ये जताना चाहती थी कि वह देश हित में बड़ा त्याग कर रही हैं. गेस्ट हाउस कांड के दौरान कई सपा नेता थे, जो आज पार्टी में अहम पदों पर बैठे हुए हैं. जबकि उस वक्त के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव आज सपा में संरक्षक के पद पर हैं. मायावती ने दो बार गेस्ट हाउस का जिक्र किया है. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि देशहित के मुद्दे को ऊपर रखते हुए हमने गठबंधन करने का फैसला किया है और यही कि हम फिर से देश के लिए एक साथ आए हैं.

उत्तर प्रदेश में 4 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर दी गई थी. इसके बाद माना जा रहा था कि चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनेगी. लिहाजा सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा के संस्थापक कांशीराम ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए राजनैतिक गठबंधन किया. चुनाव के बाद भाजपा ज्यादा मत मिलने के बाद भी राज्य में सरकार बना पायी. सन् 1993 में सपा को 109  सीटें, बसपा को 67  सीटें मिली जबकि भाजपा को 177  सीटें, जनता दल को 27  और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं. इसके बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बसपा और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाई.

हालांकि बसपा मुलायम सरकार में शामिल नहीं हुई थी सरकार में शामिल न होने के बावजूद बसपा की राज्य की सत्ता में तूती बोलती थी. और इसके कारण महज दो साल में ही दोनों दलों के रिश्ते इतने तल्ख हुए कि गठबंधन टूटने की नौबत आ गई. सपा प्रमुख मुलायम सिंह को भनक लग गई कि बसपा मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने का मन बना चुकी है और अंदरखाने भाजपा के साथ सरकार बनाने की तैयारी चल रही है. लिहाजा दो जून 1995  की शाम को बसपा ने मीराबाई मार्ग स्थित गेस्ट हाउस में अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों के साथ गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थी कि कथित तौर पर सपा के करीब 200  कार्यकर्ताओं और विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. बसपा के विधायकों के साथ कथित तौर पर मारपीट शुरू की गई.

इस हमले के कारण मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया. ये भी कहा जाता है कि सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कथित तौर पर अपशब्द कहे और जातिसूचक शब्द भी बोले. इसके बाद हालांकि भाजपा के नेता गेस्ट हाउस पहुंच गए और मायावती को वहां से बाहर निकाला. इसके बाद बसपा ने राज्य में भाजपा के साथ सरकार बनाई. लेकिन गेस्ट हाउस कांड के बाद बसपा और सपा ने कभी मिलकर चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन 12 जनवरी को दोनों दलों ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया. हालांकि दोनों दलों ने किसी ने भी मुलायम सिंह का जिक्र नहीं किया और न ही ये बताया कि क्या मुलायम सिंह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

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