क्या तीसरे किरदार में भी मेक इन इंडिया के वादे पर खरे उतरेंगे मोदी के विदेश मंत्री?

By Rahul Misra  |  First Published Jun 2, 2019, 4:12 PM IST

इस काम के लिए जयशंकर न सिर्फ विदेश सचिव रहते हुए प्रयास कर रहे थे बल्कि सरकारी सेवा से रिटायरमेंट के बाद भी टाटा समूह के लिए मेक इन इंडिया को सफल बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में एक चुनावी वादा पूरा करने की दिशा में अपना पहला कदम आगे बढ़ा चुके हैं। पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर अब उनके विदेश मंत्री हैं। जयशंकर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को सफल बनाने की है।

खासबात है कि इस काम के लिए जयशंकर न सिर्फ विदेश सचिव रहते हुए प्रयास कर रहे थे बल्कि सरकारी सेवा से रिटायरमेंट के बाद भी टाटा समूह के लिए मेक इन इंडिया को सफल बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

दरअसल 2018 में विदेश सचिव पद से रिटायर होने के बाद जयशंकर ने टाटा समूह के ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स टीम का नेतृत्व किया। रिटायरमेंट के बाद जयशंकर ने उस कूलिंग पीरियड के नियम को भी अनदेखा किया। नियम के मुताबिक किसी शीर्ष सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट के एक साल तक किसी निजी कंपनी के लिए काम करने की एक साल की पाबंदी का प्रावधान है।

हालांकि टाटा समूह के लिए मेक इन इंडिया का प्रयास करने के चलते मोदी सरकार ने भी जयशंकर के इस कूलिंग पीरियड की बाध्यता को नजरअंदाज किया।

इसे पढ़ें: शपथ ग्रहण सप्ताह में रिलायंस से अधिक बढ़ी टाटा की हैसियत 

लिहाजा, रिटायरमेंट के तत्काल बाद (28 जनवरी, 2018) जयशंकर ने टाटा समूह के रतन टाटा से मिली एक जिम्मेदारी को निभाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने का काम किया। जयशंकर ने 28 अप्रैल को टाटा समूह के साथ अपनी पारी की शुरुआत की। उम्मीद के मुताबिक दो महीने से कम समय में जयशंकर ने मेक इन इंडिया को सफल करने की दिशा में पहला कदम तब उठाया जब 15 जुलाई को टाटा ग्रुप और अमेरिकी रक्षा क्षेत्र की दिग्गज बोइंग ने अपना पहला करार किया। 

हालांकि मेक इन इंडिया की दिशा में यह जयशंकर की महज शुरुआत थी। बतौर टाटा समूह के ग्लोबल प्रमुख जयशंकर को दूसरी बड़ी कामयाबी फरवरी 2019 में मिली जब अमेरिकी एविएशन दिग्गज लॉकहीड मार्टिन ने बंगलुरू एरो इंडिया शो के दौरान अपना आधुनिकतम लड़ाकू विमान एफ—21 उतारा और दावा किया कि यह विमान भारत की रक्षा जरूरतों के लिए खासतौर पर बना है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि वह मेक इन इंडिया की शर्तों के मुताबिक टाटा समूह की रक्षा क्षेत्र की कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम के साथ इस विमान को भारत में निर्मित करने के लिए तैयार है।

यहां गौर करने वाली बात है कि जिस तरह पहले कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने जयशंकर के रिटायरमेंट कूलिंग पीरियड को नजरअंदाज किया उससे अंदाजा लगता है कि मेक इन इंडिया की सफलता के लिए जयशंकर का काम करते रहना कितना अहम था. वहीं खुद जयशंकर ने अपने विदेश सचिव कार्यकाल के दौरान 2015 में रिटायर होने वाले कनाडा के उच्चायुक्त और पूर्व नौसेना प्रमुख निर्मल वर्मा को कूलिंग पीरियड का पालन करने की सलाह दी थी। निर्मल वर्मा ने रिटायर होने के तुरंत बाद अमेरिकी नौसेना अकादमी में प्रोफेसर के पद को स्वीकार लिया था।

अब देखना यह है कि देश के नए विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर कब मेक इन इंडिया को सफल बनाने की दिशा में अपनी पहली उपलब्धि गिनाते हुए एफ16/21 लड़ाकू विमान को भारत में निर्मित कराने के मसौदे पर मोदी सरकार की मुहर लगवाते हैं। ऐसा होता है तो जाहिर है कि वह बतौर विदेश सचिव, टाटा ग्लोबल प्रमुख और विदेश मंत्री की तीनों भूमिका में सफल होते हुए मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के चुनावी वादे को सफल करने का काम करेंगे।
 

click me!