पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक विधायक शुभ्रांशु राय को पार्टी से निलंबित कर दिया। लेकिन उन्होंने यह बयान देकर सनसनी फैला दी कि टीएमसी में विधायकों का दम घुट रहा है। उनके संपर्क में कई विधायक हैं, जो पार्टी छोड़ना चाहते हैं। शुभ्रांशु ने बयान दिया कि वह भी जल्दी ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए गए विधायक शुभ्रांशु रॉय ने यह बयान देकर धमाका कर दिया है कि वह दो से तीन दिन के अंदर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस में वह खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं।
शुभ्रांशु ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी के पार्टी में उनकी ही तरह कई लोगों का दम घुट रहा है। उन्होंने कहा कि वह बीजेपी के साथ नई पारी शुरू करेंगे जिसमें वे खुलकर सांस ले सकेंगे।
शुभ्रांशु राय ने तृणमूल कांग्रेस के अंदर सच बोलने का साहस किया था। जिसकी वजह से उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया। क्योंकि उन्होंने ममता बनर्जी की खिसकती जमीन की तरफ इशारा किया था। शुभ्रांशु को तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया।
वह पश्चिम बंगाल की बीजपुर सीट से विधायक हैं। उनके पिता मुकुल रॉय पहले ही तृणमूल छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की रक्तरंजित राजनीति के इतिहास को देखते हुए शुभ्रांशु ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ‘‘मेरे पिता(मुकुल रॉय) ने मुझे सतर्क रहने की सलाह दी है क्योंकि मुझे झूठे आपराधिक मामले में फंसाया जा सकता है या मुझ पर हमला किया जा सकता है। मैं दो तीन दिन में भाजपा में शामिल होऊंगा।''
शुभ्रांशु राय का मामला तृणमूल कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद वहां मचने वाली भगदड़ की एक बानगी मात्र है। जिसका संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दिया था।
पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान 29 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में एक रैली की थी। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक बीजेपी नेताओं के सम्पर्क में हैं। जो कि चुनाव खत्म होने के बाद टीएमसी छोड़ देंगे।
पीएम ने श्रीरामपुर में कहा था कि ‘‘दीदी, इस चुनाव का परिणाम आने के बाद आपके अपने विधायक भी आपका साथ छोड़ देंगे। आपके 40 विधायक मेरे सम्पर्क में हैं और भाजपा के चुनाव जीत जाने पर आपके सभी विधायक आपको छोड़ देंगे। आपके पैर के नीचे से राजनीतिक जमीन खिसक गई है।’’