प्रदेश में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़े बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच वो फिलहाल गर्माहट देखने को नहीं मिल रही है जो चुनाव के दौरान देखने को मिली थी। चुनाव में जहां मायावती ने मैनपुरी में जाकर मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगा तो वहीं कन्नौज में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने मायावती के पैर छूकर आर्शीवाद लिया। वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस रिश्ते पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
नई दिल्ली। केन्द्र में फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति बदला होने के आसार दिख रहे हैं। प्रदेश में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़े बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच वो फिलहाल गर्माहट देखने को नहीं मिल रही है जो चुनाव के दौरान देखने को मिली थी।
लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी ये है कि लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अभी तक एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी मुखिया मायावती के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। जिससे इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में गठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकता है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम पूरे देश में तो चौंकाने वाले रहे, लेकिन उत्तर प्रदेश के परिणामों में सभी राजनैतिक पंडितों और भविष्यवाणी करने वालों को चौंकाया। जो चुनाव के दौरान या फिर एक्जिट पोल में कुछ टीवी चैनल ये बता रहे थे कि राज्य में एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन सबसे बड़ी जीत हासिल करने जा रहा है और बीजेपी को 20 से कम सीटें मिल रही हैं।
लेकिन चुनाव नतीजों के बाद ये दृश्य बदल गया। राज्य में गठबंधन को महज 15 सीटों में संतोष करना पड़ा जबकि बीजेपी को 64 सीटें मिलीं। गठबंधन को मिली 15 सीटों में से 10 सीटें तो बीएसपी के खाते में आयी जबकि एसपी को पांच सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। यही नहीं इसमें सबसे ज्यादा फायदा तो मायावती को हुआ जिनका 2014 के लोकसभा चुनाव में खाता तक भी नहीं खुल पाया था।
अगर छह महीने पीछे जाएं तो इस साल जनवरी में दोनों दलों के बीच उत्तर प्रदेश में गठबंधन बनना भी एक बड़ी राजनैतिक घटना थी। जबकि दोनों दल करीब 24 साल तक एक दूसरे के जानी दुश्मन बने रहे। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में जहां मायावती ने मैनपुरी में जाकर मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगा तो वहीं कन्नौज में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने मायावती के पैर छूकर आर्शीवाद लिया। दो दोनों घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती थी कि दोनों दलों का रिश्ता अब काफी आगे जाएगा। वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस रिश्ते पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
जब 19 मई को एक्जिट पोल में कई टीवी चैनलों ने ये भविष्यवाणी की कि गठबंधन को 20 से भी कम सीटें मिल रही हैं तो अगले दिन एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव सीधे मायावती से मिलने उनके घर पहुंचे। अखिलेश ने मायावती को बताया कि एक्जिट पोल के नतीजे सही नहीं हैं। इसलिए दोनों को चुनाव परिणाम तक इंतजार करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद अभी तक एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। यानी लोकसभा चुनाव के परिणामों को घोषित होने के एक सप्ताह से ज्यादा समय होने के बावजूद दोनों नेताओं के बीच कोई संपर्क न होना लाजमी तौर पर सवाल तो खड़ा करता है।
जाहिर है दोनों के बीच कोई मुलाकात न होने की अटकलों के बीच गठबंधन का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है। बहरहाल मायावती ने तीन जून को दिल्ली में अपने सांसदों और बड़े नेताओं की बैठक बुलाई है। जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। बहरहाल राज्य में 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।
अब सबकी नजर इस बात पर लगी है कि मायावती उपचुनाव में एसपी के साथ गठबंधन करेंगी या फिर उन्हें बाहर से समर्थन देंगी, जिस तरह से राज्य में हुए पिछले उपचुनाव में दिया था। ताकि एसपी की ताकत को और बेहतर तरीके से समझा जा सके। राज्य में बीजेपी की सरकार और ऐसे में उपचुनाव को जीतना आसान नहीं है।