क्या फिर नीतीश के पास लौटेंगे शरद यादव? बिहार में बदलेगी सियासत

By Team MyNationFirst Published Aug 31, 2020, 2:12 PM IST
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फिलहाल राज्य में लालू प्रसाद यादव की पार्टी को लगातार झटका लग रहा है। क्योंकि लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय कई बागी विधायकों के साथ जदयू में शामिल हो चुके हैं। वहीं पिछले दिनों नीतीश सरकार में मंत्री श्याम रजक ने राजद का दामन थामा है।

नई दिल्ली। नीतीश कुमार के विरोधी पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के फिर से जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने की चर्चाएं जोरों पर चल रही है। माना जा रहा है सियासत में हाशिए पर आ चुके शरद यादव भी नया ठिकाना खोजने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी पार्टी का जनता दल यूनाइटेड में विलय करा सकते हैं।  चर्चा है कि शरद यादव की कई नेताओं के साथ मुलाकात हो चुकी है। फिलहाल इस पर फैसला नीतीश कुमार को लेना है।  हालांकि अभी  तक  बिहार में शरद यादव विपक्षी दलों के महागठबंधन में हैं।

फिलहाल राज्य में लालू प्रसाद यादव की पार्टी को लगातार झटका लग रहा है। क्योंकि लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय कई बागी विधायकों के साथ जदयू में शामिल हो चुके हैं। वहीं पिछले दिनों नीतीश सरकार में मंत्री श्याम रजक ने राजद का दामन थामा है। अब राज्य में नए सियासी समीकरण बन रहे हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के जदयू में वापसी की अटकलें हैं। फिलहाल राज्य में चर्चा है कि जदयू के कई नेताओं के साथ वरिष्ठ नेता शरद यादव की मुलाकात हो चुकी है और नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद ही इस पर फैसला हो सकेगा। वहीं शरद यादव पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने मुलाकात के लिए इशारा नहीं किया है।

वहीं पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि इसका पार्टी फोरम में चर्चा हो रही है। क्योंकि शरद यादव पार्टी के पुराने चेहरा रह चुके हैं और पार्टी को स्थापित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। फिलहाल शरद यादव पिछले कुछ समय से बीमार हैं और अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसी दौरान उनकी राज्य के नेताओं के साथ बैठक हुई हैं।  असल में 2019 के लोकसभा चुनाव ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें हार मिली थी। उन्होंने मधेपुरा लोकसभा सीट पर जदयू के नेता दिनेशचन्द्र यादव ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं शरद यादव की पार्टी अभी भी महागठबंधन का हिस्सा हैं।
 

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