मध्य प्रदेश में जल्द ही 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। ये चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी हो सकते हैं। अगर कांग्रेस इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो वह सत्ता में वापसी कर सकती है। लिहाजा कांग्रेस अब एक बार फिर पीके के शरण में गई है।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लेकर कांग्रेस एक बार फिर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के शरण में गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव और एनआरसी के मुद्दे पीके की सलाह न मानने वाले कांग्रेस को लगता है कि उपचुनाव की वैतरणी पीके ही पार लगा सकते हैं। लिहाजा अब चुनाव में जीत गारंटी के लिए पीके से कांग्रेस बातचीत कर रही है।
मध्य प्रदेश में जल्द ही 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। ये चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी हो सकते हैं। अगर कांग्रेस इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो वह सत्ता में वापसी कर सकती है। लिहाजा कांग्रेस अब एक बार फिर पीके के शरण में गई है। फिलहाल कांग्रेस की पीके से बात चल रही है। पिछले दिनों जब एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस ने पीके की सलाह को दरकिनार किया था और पीके के सलाह दी थी कि वह कांग्रेस को सलाह न दे। वहीं अब कांग्रेस को लग रहा है कि राज्य में उपचुनाव में जीत उसे पीके की रणनीती ही दिला सकती है।
राज्य की 24 विधानसभा सीटों में से 22 सीटें वो हैं। जो कांग्रेस से बगावत करने के बाद भाजपा में चल गए विधायकों के कारण खाली हुई हैं। इसमें से 17 सीटें सिंधिया के गढ़ की हैं। राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दिया था। वहीं दो सीटें दो विधायकों के निधन की वजह से खाली हैं। फिलहाल राज्य में उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों तैयारी कर रही हैं। कांग्रेस इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना है। ताकि राज्य में भाजपा को चुनौती दे सके से प्रदेश की दो सीटें रिक्त हैं। उपचुनाव के लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। असल में पिछले विधानसभा चुनाव में भी प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए काम किया था और पार्टी सत्ता में पहुंची थी। लिहाजा पार्टी को एक बार फिर पीके की रणनीति पर भरोसा है।