जजों की नियुक्ति के मसले पर केन्द्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश नकारी

केन्द्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति के मसले पर फिर से टकराव बढ़ सकता है। दरअसल सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को दरकिनार करके मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायाधीश की नियुक्ति की है। 

Will there be a confrontation between the central government and the judiciary again

नई दिल्ली: जजो की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और कॉलेजियम के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में कॉलेजियम की सिफारिश को लंबित रखा है। 

साथ ही सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को दरकिनार करते हुए संविधान की धारा 223 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति की तरफ से मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज रवि शंकर झा को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति कर दी है। 

झा से पहले कॉलेजियम ने मध्यप्रदेश हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार सेठ के सेवानिवृत्त होने के बाद मुख्य न्यायाधीश पद के लिए जस्टिस ए ए कुरैशी के नाम को सिफारिश की थी। जस्टिस संजय कुमार सेठ 9 जून को रिटायर हो रहे है।

कॉलेजियम ने देश के विभिन्न हाइकोर्ट के लिए 10 मई को तीन अन्य सिफारिशे भी की थी। गुजरात हाइकोर्ट के जस्टिस को दिल्ली हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई थी। उनकी नियुक्ति को केंद्र सरकार की तरफ से 22 जून को हरी झंडी दे दी गई थी।

मद्रास हाईकोर्ट के सीनियर न्यायाधीश जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यम को हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई थी। सरकार ने इस सिफारिश को हरी झंडी नही दिखाई है। 

राजस्थान हाइकोर्ट के सीनियर जस्टिस आर एस चौहान को कॉलेजियम ने तेलंगाना हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। जस्टिस चौहान अभी तेलंगाना हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम कर रहे है। सरकार ने जस्टिस चौहान की पदोन्नति को भी अभी मंजूरी नहीं दी है। 

कानून मंत्री का पद संभालने के बाद रवि शंकर प्रसाद ने हायर जुडिशरी में लंबित नियुक्तियों के बारे में कहा कि उनकी भूमिका स्टेकहोल्डर के रूप में है। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें उनकी या उनके विभाग की कोई भूमिका नही है।

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