निकाह और हलाला के नाम पर महिला के साथ हुआ यह दिल दहलाने वाला हादसा

By Team MynationFirst Published Jul 25, 2018, 12:14 PM IST
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शरिया कानून के मुताबिक किसी महिला को तीन तलाक के बाद वापस पुराने पति के पास आने की स्थिति में हलाला की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। बेहद विवादित ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हाल ही में निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है

उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक महिला ने अपने पति समेत चार लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि उससे निकाह हलाला के नाम पर चार लोगों ने गैंगरेप किया है। 
निकाह हलाला की ये घटना बताती है कि तीन तलाक के बाद महिलाओं को किन हालातों का सामना करना पड़ता है। शरिया कानून के मुताबिक किसी महिला को तीन तलाक के बाद वापस पुराने पति के पास आने की स्थिति में हलाला की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।
बेहद विवादित ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हाल ही में निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले को मुख्य याचिका के साथ जोड़ दिया है। 
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक महिला का कहना है कि उसे पहले तीन तलाक दिया गया, जिसके बाद उसे तीन महीनों के लिए दूसरे व्यक्ति से शादी करनी पड़ी। महिला का आरोप है जिस व्यक्ति से उसकी शादी हुई थी, उसने तीन महीने बाद दूसरी महिला से शादी कर ली। महिला ने बताया, "मेरे पति ने मुझे तीन तलाक दे दिया, जिसके बाद मेरा निकाह 3 महीनों के लिए दूसरे व्यक्ति से कराया गया, लेकिन उसने भी तीन महीने बाद दूसरी महिला से शादी कर ली"।

Rampur: Woman alleges she was raped by 4 people, including her husband, in the name of Nikah Halala, says 'After my husband gave me triple talaq, I was married off to someone else for 3 months but he later married another woman.' Police have registered case against 9 people. pic.twitter.com/Vuq1gbGKtk

— ANI UP (@ANINewsUP)


यूपी के रामपुर जिले की पुलिस ने महिला की शिकायत पर 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। 
लोकसभा में तीन तलाक को बैन करने और तीन तलाक देने वाले लोगों को तीन साल तक सजा का विधेयक लाया गया है,  इसका मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्थानों ने समर्थन किया है। ये लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा में लंबित पड़ा है। बिल को 28 दिसंबर 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक में ईमेल, एसएमएस, व्हाट्सएप या फोन पर दिए गए तलाक को अवैध करार दिया गया है और तलाक देने वालों को तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
 

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