नाले में तब्दील कर्णावती नदी को जीवनदान देने का भगीरथ प्रयास शुरु, मिर्जापुर के 19 गांवों को होगा लाभ

प्राचीन ग्रंथों में जिस ऐतिहासिक कर्णावती नदी का जिक्र आता है वह आज नाले में बदल चुकी है। खरपतवार व मिट्टी से पटाव हो जाने के कारण नदी का बहाव बंद हो गया है। नदी को पुनर्जीवित करने की योजना पर कार्य आरम्भ किया गया है। शुक्रवार को छानबे विकास खंड के भटेवरा गांव में सफाई व श्रमदान अभियान शुरू किया गया है। लोगों में अपनी धरोहर बचाने की ललक दिखी।
 

Work of giving life to the river Karnavati has started in Mirzapur.

मिर्जापुर. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में कभी निर्बाध तरीके से प्रवाहित होने वाली कर्णावती नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए शुक्रवार से जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने भागीरथ प्रयास शुरू किया है। इस कार्य में नगर विधायक रत्नाकर व 19 गांवों के लोग श्रमदान के सामने आए हैं। करीब 25 किमी में प्रवाहित होने वाली नदी का यदि वजूद बच जाए तो जल संचयन से कई गांवों को पानी की किल्लत से निजात मिल जाएगी। 

जिलाधिकारी ने कहा कि विकास खण्ड छानबे के 19 ग्राम सभाओं में कर्णावती नदी बहती रही है परंतु आज सूख गई हैं तथा उसमें काफी खरपतवार व मिट्टी से पटाव हो जाने के कारण नदी का बहाव बंद हो गया है। नदी को पुनर्जीवित करने की योजना पर कार्य आरम्भ किया गया है। शुक्रवार को छानबे विकास खंड के भटेवरा गांव में सफाई व श्रमदान अभियान शुरू किया गया है। लोगों में अपनी धरोहर बचाने की ललक दिखी। नदी में जल का संरक्षण होने से सभी को फायदा होगा और प्रकृति भी संतुलित रहेगी। 

नगर विधायक रत्नाकर मिश्र ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल और जल शक्ति मंत्रालय की मंशा को पूर्ण करने के लिए आज एक साथ 19 गांवों में कर्णावती पुनर्जीवन अभियान चलाया गया। जल संरक्षण में बाधा बने टीलों को हटाया जा रहा है तो वहीं नाप कराकर अतिक्रमण को भी हटाया गया। इससे जल का संरक्षण होगा तो रिचार्ज होकर भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा। इससे पशुओं और आम जनता को पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता बनी रहेगी 

स्थानीय नागरिकों ने भी कहा कि कभी नदी के सहारे जीवन जीने वाले सूखती नदी को देख दुखी थे। आज अफसर, नेता नदी की सफाई करने पहुंचे तो गांव वाले भी उनके साथ श्रमदान करने में लग गए। ग्रामीणों को इस बात की प्रसन्नता है कि नदी में जल रुकने पर उन्हें पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा। पशुओं को नहलाने और पानी पिलाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। 

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