पवार ने कांग्रेस को दिखाया आईना, महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और एनसीपी में तकरार

By Team MyNation  |  First Published Jul 17, 2019, 3:14 PM IST

महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा का चुनाव है। इसके लिए कांग्रेस ने अभी से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जबकि एनसीपी भी राज्य में ज्यादा सीटें चाहती है। राज्य में ज्यादा सीटों के लिए एनसीपी के तर्क हैं कि लोकसभा चुनाव में उनसे कांग्रेस की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के बीच विधानसभा चुनाव से पहले ही तनातनी शुरू हो गयी है। एनसीपी लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर राज्य में विधानसभा चुनाव की सीटों के लिए दावेदारी कर रही है। जबकि कांग्रेस बडे दल होने के नाते राज्य में ज्यादा सीटें चाहती हैं।

महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा का चुनाव है। इसके लिए कांग्रेस ने अभी से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जबकि एनसीपी भी राज्य में ज्यादा सीटें चाहती है। राज्य में ज्यादा सीटों के लिए एनसीपी के तर्क हैं कि लोकसभा चुनाव में उनसे कांग्रेस की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है।

लिहाजा उसे ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक और एनसीपी ने चार सीटें जीती हैं। जबकि दोनों दलों ने राज्य में गठबंधन किया था।

उधर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राज्य में बेहद कमजोर हो चुकी कांग्रेस को अब समझना चाहिए कि कांग्रेस अकेले भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती है और फिलहाल उसके(कांग्रेस) के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहा है। ऐसे में उसे अपने व्यवहार में लचीलापन लाना चाहिए।

गौरतलब है कि शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर ही एनसीपी का गठन किया था। पिछले दिनों ये भी चर्चा थी कि एनसीपी का कांग्रेस में विलय हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस पार्टी को विपक्षी पार्टी का दर्जा मिल सकता है। लेकिन बाद में एनसपी प्रमुख शरद पवार ने इस तरह की अफवाहों को खारिज कर दिया था।

फिलहाल राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीटों को लेकर तनातनी चल रही है। कांग्रेस ने हाल ही में राज्य में नया अध्यक्ष नियुक्त कर 14 समितियों का गठन किया जबकि एनसीपी भी चाहती है कि दोनों दल मिलकर संयुक्त कमेटियों का गठन करे। ताकि जनता को लगे कि दोनों दल एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

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