देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी को गांधी परिवार के अलावा कहीं और ठिकाना नहीं मिल रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 के समापन के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने नया अध्यक्ष चुनने के लिए जबरदस्त कवायद का नाटक किया। लेकिन घूम फिर कर वह सभी गांधी परिवार पर ही भरोसा जताने के लिए मजबूर हैं। कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए 'मिशन प्रियंका' का आगाज कर दिया है।
नई दिल्ली: शायद कांग्रेस पार्टी में नए अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित कवायद बंद कर दी है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पैदा हुए संकट के दौरान कांग्रेस नेताओं ने कई नामों पर विचार किया। सबसे पहले महासचिव के.सी वेणुगोपाल के नाम की चर्चा हुई। लेकिन उन्होंने पार्टी महासचिव के नाते अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालने से इनकार कर दिया। इसके बाद पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के नाम पर बात चली। लेकिन उन्होंने ज्यादा उम्र का हवाला देते हुए मना कर दिया।
इसके बाद तो अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे, सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खड्गे के साथ साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक के नाम पर चर्चा हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस के नेता अभी तक अपने अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाए हैं।
कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं ने शुरु किया प्रियंका के नाम का जाप
एक बड़े अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने प्रियंका गांधी वाड्रा को नया पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए खुलकर आवाज उठानी शुरु कर दी है। ये हैं कानपुर के कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरण दास।
श्रीप्रकाश जायसवाल का कहना है कि 'बहुत से लोग कह रहे हैं, मैं भी यही मानता हूं कि प्रियंका गांधी को पार्टी का अध्यक्ष होना चाहिए। वे गांधी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके अंदर काबिलियत है कि वे पार्टी का नेतृत्व कर सकती हैं। उनका नाम सामने आएगा तो मेरे विचार में यह एक अच्छा विकल्प होगा। राहुल गांधी ने गैर-गांधी नेतृत्व की बात कही थी शायद, इसीलिए लोग खुलकर कहने में संकोच कर रहे हैं'।
वहीं भक्त चरणदास का कहना है कि 'राहुल गांधी की अनुपस्थिति में पार्टी के लाखों कार्यकर्ता प्रियंका गांधी को नेतृत्व देने की ही मांग करेंगे, बल्कि वे मांग कर भी रहे हैं, लेकिन ये मांग सही जगह तक पहुंच नहीं रही है। प्रियंका गांधी के साथ एक विश्वसनीय टीम होनी चाहिए और हमें बेहतर कार्य करना होगा। मेरा मानना है कि अगर राहुल गांधी अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं तो प्रियंका गांधी को पार्टी प्रमुख बनना चाहिए और पार्टी को उनके नाम का प्रस्ताव लाना चाहिए।'
पहले भी इशारों इशारों में हो चुकी है प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की बात
श्रीप्रकाश जायसवाल औऱ भक्त चरणदास से पहले भी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रियंका गांधी वाड्रा की तरफ इशारा करते हुए किसी युवा नेता को पार्टी नेतृत्व सौंपने की मांग की थी। उन्होंने ट्विटर पर कहा था कि 'राहुल गांधी का पद छोड़ने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, अब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एक गतिशील युवा नेता की उम्मीद है। सीडब्ल्यूसी से आग्रह है कि युवा भारत की युवा आबादी के लिए युवा नेता की जरूरत पर ध्यान दें।'
After unfortunate decision of to quit, hope to see another dynamic youth leader as president to galvanise party. Urge CWC to take note of young India’s need for a young leader, aligned to aspirations of its large youth population & with grassroots connect.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder)अमरिंदर के अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी छिपे तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष पद पर देखने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद 11 जुलाई को भोपाल पहुंचे सिंधिया ने बयान दिया कि 'राहुल गांधी ने जो रास्ता दिखाया है, वह मेरी विचारधारा है, सभी कांग्रेस कार्यकर्ता उसी रास्ते पर चलकर पार्टी को फिर से मजबूत करें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस वक्त ऐसे नेतृत्व की जरुरत है, जो कार्यकर्ताओं में उत्साह भरके देश के लोगों में फिर से कांग्रेस के प्रति विश्वास जगा सके।'
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को चेतावनी दी थी कि वह अगले अध्यक्ष पद के तौर पर किसी नेता का नाम प्रस्तावित करते समय यह ध्यान रखें कि वह गांधी परिवार से संबंधित नहीं हो। यही वजह है कि अमरिंदर और ज्योतिरादित्य ने प्रियंका का नाम खुले तौर पर लेने का साहस नहीं किया।
क्यों गांधी परिवार के लिए बेचैन हो रहे हैं कांग्रेसी
दरअसल कांग्रेस पार्टी में अपनी पूरी जिंदगी बिता चुके कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता जानते हैं कि बिना गांधी परिवार के पार्टी की हालत बिना ड्राईवर की गाड़ी जैसी हो जाती है। हाल ही में पार्टी को कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस के 13 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिससे जेडीएस के साथ पार्टी की गठबंधन सरकार खतरे में आ गई है। कर्नाटक का सियासी नाटक अभी चल ही रहा था कि गोवा में भी कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पाला बदलकर बीजेपी का हाथ थाम लिया।
वहीं रह रहकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकारों पर खतरा आता हुआ दिख रहा है। इन सभी राज्यों में कांग्रेसी सरकार इसलिए डांवाडोल है क्योंकि कांग्रेस के पास कोई ठोस नेतृत्व नहीं है।
आम कांग्रेसियों को लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी अपने नए अध्यक्ष के चुनाव के प्रति गंभीर नहीं है। यहां तक कि अब तक पार्टी का नया मुखिया चुनने के लिए या इस संबंध में चर्चा के लिए कार्यकारिणी की बैठक तक नहीं हुई। ऐसे में अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद से लगातार पार्टी नेतृत्व के संकट से जूझ रही है।
कांग्रेस को लेकर अब यह कहा जाने लगा है कि यह संकट जल्द नहीं सुलझा तो पार्टी विनाश की कगार पर पहुंच जाएगी। यह कोई आधारहीन खतरा भी नहीं है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने से लेकर अभी तक के घटनाक्रम और कांग्रेस नेताओं के बयान इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि पार्टी आजाद भारत में अपने सबसे बुरे दौर गुजर रही है। गुलाम नबी आजाद ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा लग रहा है मानो कांग्रेस को खत्म करने के लिए ही भाजपा सत्ता में आई है।
गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान की घटनाओं की वजह से कांग्रेस नेताओं का धैर्य चूक रहा है और उन्होंने राहुल गांधी की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनवाने के लिए लॉबिंग शुरु कर दी है।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि इस बार कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कोई नाम फाइनल नहीं हो पाता है तो प्रियंका गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।