कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार खोलेगी एक हजार अंग्रेजी मीडियम के स्कूल

By Team MyNationFirst Published Jan 30, 2020, 10:56 AM IST
Highlights

हालांकि राज्य में कई संगठन राज्य सरकार को भेज गए प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि राज्य में कन्नड भाषा को आगे बढाने की जरूरत है। लिहाजा इस फैसले में फिलहाल देरी हो सकती है। वहीं माना जा रहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने  के लिए सरकार ये फैसला ले सकती है। अगर सरकार फरवरी तक इस प्रस्ताव पर फैसला करती है  तो इसे 2020-2021 के अकादमिक सेशन से  शुरू किया जा सकता है।

बंगलुरू। कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार राज्य में एक हजार अंग्रेजी मीडिया के स्कूल खोलने की योजना बना रही है। इसके लिए  राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है। इसके ही राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य के मौजूदा सरकारी कन्नड़ माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी शुरू करने और अंग्रेजी माध्यम के 1000 स्कूलों को शुरू करने के लिए भेजा है। पिछले साल ही राज्य सरकार ने राज्य में 1000 स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम शुरू किया है। ताकि बच्चे स्थानीय भाषा के साथ ही अंग्रेजी भी पढ़े।

हालांकि राज्य में कई संगठन राज्य सरकार को भेज गए प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि राज्य में कन्नड भाषा को आगे बढाने की जरूरत है। लिहाजा इस फैसले में फिलहाल देरी हो सकती है।
वहीं माना जा रहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने  के लिए सरकार ये फैसला ले सकती है। अगर सरकार फरवरी तक इस प्रस्ताव पर फैसला करती है  तो इसे 2020-2021 के अकादमिक सेशन से  शुरू किया जा सकता है।

वहीं राज्य के अल्पसंख्यक निदेशालय ने 4000 से अधिक मौजूदा सरकारी उर्दू माध्यम स्कूलों में से 400 स्कूलों को  अंग्रेजी मीडियम  में बदलने का प्रस्ताव दिया है।  असल में पिछले साल तत्कालीन सरकार ने फैसला किया था। जिसके तहत लगभग 200 स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम का किया गया था। जिसके तहत प्रत्येक स्कूल में 30 छात्रों संख्या की बाध्यता को खत्म कर दिया गया था। उधर राज्य के प्रमुख सचिव उमाशंकर का कहना है कि स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के लिए बनाए गए प्रस्तावों पर चर्चा की जा रही है।

अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है। लेकिन इस  पर जल्द ही फैसला किया जा सकता है। ताकि अगले सेशन से इसे शुरू किया जा सके। पिछले दिनों ही राज्य की येदियुरप्पा सरकार ने राज्य में टीपू सुल्तान की जीवनी के नकारात्मक पहलुओं को पढा़ने का फैसला किया था। हालांकि पहले राज्य सरकार ने टीपू सुल्तान को सरकारी पाठ्यक्रमों से हटाने का फैसला किया था।

click me!