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योगी आदित्यनाथ ने एक ही झटके में बदला 39 साल पुराना कानून, लिया ये बड़ा फैसला

Published : Sep 14, 2019, 11:18 AM IST
योगी आदित्यनाथ ने एक ही झटके में बदला 39 साल पुराना कानून, लिया ये बड़ा फैसला

सार

असल में 1981 में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेस और मिसलेनियस एक्ट अस्तित्व में आया और उस वक्त विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। लेकिन इसके बाद राज्य में 19 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन किसी ने इस कानून को खत्म करने की कोशिश नहीं की। उस वक्त मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर को लेकर ये तर्क दिए गए थे कि राज्य सरकार को मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने चाहिए क्योंकि ज्यादातर मंत्री गरीब हैं और उनकी आय बेहद कम है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ही झटके में 39 साल पुराने फैसले को बदला डाला। जैसे ही योगी आदित्यानथ को इसकी जानकारी हुई कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों का टैक्स राज्य सरकार के खाते से ज्यादा है तो उन्होंने मुख्यमंत्री एवं सभी मंत्रियों को अपने इनकम टैक्स  का भुगतान स्वयं करने का फैसला किया।

असल में मीडिया में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। जिसमें ये बताया गया था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर लगने वाले आयकर को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। ये चालीस साल पुराना कानून और राज्य में कई मुख्यमंत्री आए लेकिन उन्होंने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए इसे नहीं बदला। जबकि अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों को अच्छा वेतन मिलता है।

लेकिन उसके बावजूद राज्य सरकार इसका वहन सरकारी खजाने से करती है। लेकिन अब योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी मंत्री अपने इनकम टैक्स का भुगतान स्वयं करेंगे। इसकी जानकारी कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज एलाउन्सेस एंड मिसलेनियस एक्ट-1981 के अन्तर्गत अभी तक सभी मंत्रियों के इनकम टैक्स बिल का भुगतान राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाता था।

लेकिन अब राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि सभी मंत्री स्वयं इसका वहन करेंगे। अब मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान राज्य सरकार नहीं करेगी। असल में 1981 में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेस और मिसलेनियस एक्ट अस्तित्व में आया और उस वक्त विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। लेकिन इसके बाद राज्य में 19 मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

लेकिन किसी ने इस कानून को खत्म करने की कोशिश नहीं की। उस वक्त मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर को लेकर ये तर्क दिए गए थे कि राज्य सरकार को मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने चाहिए क्योंकि ज्यादातर मंत्री गरीब हैं और उनकी आय बेहद कम है। लिहाजा वीपी सिंह सरकार के बनाए इस कानून से करीब 39 साल से जनता की कमाई से मंत्रियों का आयकर भरा जा रहा था।
 

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