रैली में इमरान खान ने ये भी माना कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर किसी का समर्थन नहीं मिला है और वह कश्मीर के मुद्दे पर अकेले लड़ाई लड़ रहा है। इमरान खान बार बार गुलाम कश्मीर का दौरा इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि आने वाले समय में गुलाम कश्मीर के लोग बगावत कर भारत में शामिल होने की मांग कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए वहां पर आवाज उठनी शुरू हो गई हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान अपने हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कश्मीर के मसले पाकिस्तान इस कदर बौखला गया है और उसे कुछ समझ में नहीं रहा है। लिहाजा अब वह गुलाम कश्मीर(पीओके) के लोगों को उकसाने की कोशिश कर रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि इमरान खान को गुलाम कश्मीर में ही समर्थन नहीं मिल रहा है। इमरान खान पिछले एक महीने के दौरान तीन बार गुलाम कश्मीर का दौरा कर चुके हैं।
इमरान खान गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में रैली का आयोजन किया था। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये रैली फ्लॉप रही और रैली में भीड़ एकत्रित करने के लिए पाकिस्तान से ट्रकों में भर कर लोगों को लाया गया था। इमरान खान ने वहां पर 'एकजुटता' रैली का आयोजन किया था।
रैली में इमरान खान ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि कश्मीर में पीएम नरेन्द्र मोदी और आरएसएस गलत काम कर रही है। इमरान खान यहां पर भी धर्म को इस्तेमाल करना नहीं भूले। इमरान खान ने कहा कि आरएसएस वह संगठन है जो मुस्लिमों से नफरत करती है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इमरान खान का पीओके में ये तीसरा दौरा है। इससे पहले 14 अगस्त को इमरान खान ने गुलाम कश्मीर की एसेंबली को संबोधित किया था और जब वह वहां संबोधित कर रहे थे तब लोग इमरान खान का विरोध कर रहे थे और गो बैक इमरान के नारे लगा रहे थे।
असल में पाकिस्तान और इमरान खान को समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को किसी का समर्थन नहीं मिल रहा है। सभी ने पाकिस्तान को नसीहत दी है कि वह भारत से बातचीत करे। लेकिन पाकिस्तान की सरकार कश्मीर के जरिए पाकिस्तान में अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहती है।
रैली में इमरान खान ने ये भी माना कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर किसी का समर्थन नहीं मिला है और वह कश्मीर के मुद्दे पर अकेले लड़ाई लड़ रहा है। इमरान खान बार बार गुलाम कश्मीर का दौरा इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि आने वाले समय में गुलाम कश्मीर के लोग बगावत कर भारत में शामिल होने की मांग कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए वहां पर आवाज उठनी शुरू हो गई हैं।