असल में इस साल के शुरूआत में राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया था। हालांकि योगी सरकार के इस फैसले को केन्द्र सरकार ने भी रद्द कर दिया था। केन्द्र सरकार ने साफ कहा था कि योगी सरकार कैबिनेट से पारित किसी भी इस तरह के फैसले को राज्य में लागू नहीं कर सकती है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने राज्य की 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने पर रोक लगा दी है। लिहाजा राज्य में 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले योगी सरकार के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है।
असल में इस साल के शुरूआत में राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया था। हालांकि योगी सरकार के इस फैसले को केन्द्र सरकार ने भी रद्द कर दिया था। केन्द्र सरकार ने साफ कहा था कि योगी सरकार कैबिनेट से पारित किसी भी इस तरह के फैसले को राज्य में लागू नहीं कर सकती है।
हालांकि राज्य में योगी सरकार के इस फैसले को लागू करने के बाद राज्य में असमंजस की स्थिति थी। क्योंकि आदेश आने के बाद इन जातियों को एससी में शामिल करने के बाद राज्य में जाति प्रमाण पत्र बनने शुरू हो गए थे। जिसका राज्य में राजनैतिक दलों ने विरोध किया था। इसके बाद कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।
जिसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। फिलहाल इस मामले में अब कोर्ट ने कहा कि जातियों को अनुसूचित या पिछड़ा घोषित करने का अधिकार केवल संसद का है और इस मामले में अब राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
योगी सरकार ने इस साल 24 जनवरी को शासनादेश जारी कर कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी और मडुआ को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया था। अभी तक राज्य में ये जातियां ओबीसी के तहत आती हैं। फिलहाल ये राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। क्योंकि उपचुनाव में ये एक बड़ा मुद्दा हो सकता था।