आखिर मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को क्यों रोक रहे हैं योगी सरकार के वित्त विभाग के नौकरशाह

By Harish Tiwari  |  First Published Apr 3, 2019, 4:08 PM IST

केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश के रायबरेली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग यानी निफ्ट के बाद अब वाराणसी में दूसरा संस्थान खोलना चाहता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का वित्त विभाग मोदी सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए अड़ंगा लगा रहा है। 

केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश के रायबरेली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग यानी निफ्ट के बाद अब वाराणसी में दूसरा संस्थान खोलना चाहता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का वित्त विभाग मोदी सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए अड़ंगा लगा रहा है। यानी प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद वित्त विभाग के नौकरशाह लाल फीताशाही रवैया अपना रहे हैं। हालांकि राज्य के खादी एवं ग्रामोउद्योग विभाग ने दूसरे निफ्ट को बनारस में शुरू करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में भेज दिया है और अब वही इस पर फैसला लेंगे।

केन्द्र सरकार ने प्रदेश के वाराणसी में दूसरा निफ्ट खोलने की योजना बनायी है। क्योंकि बनारसी साड़ी और हैंडीक्राफ्ट की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मांग है और इस डिमांड को और ज्यादा बढ़ाने और नई दिशा देने के लिए केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय ने वाराणसी में संस्थान को खोलने की योजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी। राज्य सरकार ने इसे अपने वित्त विभाग को भेज दिया। लेकिन राज्य में एक और संस्थान खोलने के रास्ते में लाल फीताशाही आ गयी। इस प्रस्ताव पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी व्यक्तिगत तौर पर रूचि ले रही हैं। वित्त विभाग ने उल्टा ही केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर नियमों का हवाला दिया कि केन्द्र सरकार प्रत्येक राज्य में एक ही संस्थान खोल सकती है। यानी यूपी का वित्त विभाग केन्द्र सरकार की निफ्ट के लिए बनाई गयी नीतियों पर भी सवाल उठा रहा है।

जबकि केन्द्र सरकार अपने अधिकारों के तहत पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस संस्थान को खोलना चाहता है, ताकि वाराणसी के उत्पादों को आधुनिक डिजाइन के तहत तैयार किया जा सके। दिलचस्प ये है कि केन्द्र सरकार राज्य सरकार से कोई आर्थिक सहायता भी नहीं मांग रही है। केन्द्र में महज जमीन देनी है और इसके लिए जिला प्रशासन जिले में जमीन का आवंटन कर सकता है। हाल ही में बनारसी साड़ियों में जीआई टैगिंग की गयी है और ये बनारस जरी और साड़ी के नाम से रजिस्ट्रर्ड हुई की गयी है। इसके बाद इस संस्थान को खोलने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ही खादी और ग्रामोउद्योग विभाग ने पहल की है। विभाग ने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा है, ताकि राज्य में दूसरे संस्थान को खोला जा सके।

विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस संस्थान के खुलने से वाराणसी ही नहीं बल्कि उससे जुड़े जिलों को भी फायदा मिलेगा और कारोबार को नई दिशा भी मिलेगी। यहां पर रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे और बनारसी साड़ियों की विदेशी बाजार में मांग भी बढ़ेगी। बनारसी साड़ियों की बाजार में मांग है, खासतौर से जिन साड़ियों में सोने और चांदियों की जरी की जाती है। खादी विभाग का मानना है कि वाराणसी में निफ्ट खुल जाने से पूर्वांचल और बिहार समेत पूर्वी राज्यों को फायदा मिलेगा। क्योंकि वाराणसी के आसपास के जिलों में हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम का कारोबार है। लेकिन टेक्नोलॉजी और नए डिजाइन न होने के कारण उत्पादों का ज्यादा मूल्य नहीं मिल पाता है।
 

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