योगी सरकार ने पवित्र गोवर्द्धन पर्वत के पास सात इस्लामिक मजारों को ढहाया

यह कदम राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) के आदेश के बाद उठाया गया है। जिसने गोवर्द्धन परिक्रमा पथ के रास्ते में आने वाली अवैध निर्माण और इमारतों को हटाने का आदेश दिया था। 

Yogi govt razes 7 illegal Islamic shrines near holy Govardhan Parvat in Mathura

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसा कर दिया है जिसकी कुछ साल पहले तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। अब से आठ दिन पहले यानी 12 नवंबर को राज्य सरकार ने पवित्र पर्वत गिरिराज गोवर्द्धन के परिक्रमा पथ के रास्ते में आने वाली सात इस्लामी मजारों को ध्वस्त करके समतल बना दिया। 

गिरिराज गोवर्द्धन की पहाड़ी को हिंदु धर्म में परम पवित्र माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक योगिराज भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजभूमि और उसके लोगों की रक्षा करने के लिए गोवर्द्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की उंगली पर उठा लिया था। क्योंकि इंद्र अपनी पूजा न होने से नाराज होकर भयानक बारिश कर रहे थे, जिससे पूरे ब्रज भूमि के निवासियों के जीवन पर खतरा पैदा हो गया था। चूंकि गोवर्द्धन पर्वत को स्वयं ईश्वर ने धारण किया था, इसलिए पूरी दुनिया के हिंदू श्रद्धालु गिरिराज गोवर्द्धन की परिक्रमा करने के लिए दूर दूर से यहां आते हैं। 

इस इलाके में अवैध निर्माण की वजह से लगातार यातायात बाधित होने की खबरें आ रही थीं। इसे देखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने साल 2015 में एक आदेश पारित किया था। जिसमें राज्य सरकार को यह आदेश दिया गया था कि कि वह इस क्षेत्र में हर तरह के अतिक्रमण के ध्वस्त कर दे। प्राधिकरण की टीम ने 20 मार्च 2015 को इस इलाके का दौरा करने के बाद यह आदेश दिया था। 

एनजीटी की टीम ने जो रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें इस पूरे परिक्रमा मार्ग को 'नो-कंस्ट्रक्शन जोन' के रूप में अधिसूचित करने की बात कही गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था, " निर्धारित सीमा रेखा के अंदर वन भूमि की पहचान करके निर्धारित समय के अंदर सभी तरह के अतिक्रमण को हटा दिया जाना चाहिए।"

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में आने वाले सभी तरह के अवैध निर्माण को भी हटाया जाना चाहिए। 


एनजीटी के मामले से जुड़े वकील अमित तिवारी ने माय नेशन को बताया कि शुरुआत में अतिक्रमण की सूची में इस बार ढहाए गए यह सात मज़ार शामिल नहीं थे जो अवैध रूप से पहाड़ी के आसपास और परिक्रमा मार्ग पर बनाए गए थे। इन सभी को अभी हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के बाद अवैध निर्माण की लिस्ट में शामिल किया गया था। 

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