पिछले साल जायरा ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में बॉलीवुड से अलविदा कह दिया था। उस वक्त उनसे कहा था कि वह इस्लाम के लिए अभिनय छोड़ रही है। लेकिन अब उनसे राजस्थान और देश के कई राज्यों में टिड्डों के हमलों को अल्लाह का क्रोध बताया है। श्रीनगर में जन्मी जायरा ने 3 फिल्मों के बाद अभिनय छोड़ दिया था, उनका दावा था कि अभिनय उन्हें 'इस्लाम से दूर' ले जा रहा है।
नई दिल्ली। इस्लाम के खातिर चकाचौंध भरी फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने वाले दंगल फेम जायरा वसीम कितनी कट्टपंथी हो गई है। उसके इसी बयान से समझा जा सकता है। देश में कई राज्यों में हो रहे टिड्डी हमले को उसने इस्लाम से जोड़ते हुए उसे अल्लाह का कहर बताया है। इसके लिए जायरा ने सोशल मीडिया में पोस्ट किया है। जिसकी चारो तरफ आलोचना हो रही है।
पिछले साल जायरा ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में बॉलीवुड से अलविदा कह दिया था। उस वक्त उनसे कहा था कि वह इस्लाम के लिए अभिनय छोड़ रही है। लेकिन अब उनसे राजस्थान और देश के कई राज्यों में टिड्डों के हमलों को अल्लाह का क्रोध बताया है। श्रीनगर में जन्मी जायरा ने 3 फिल्मों के बाद अभिनय छोड़ दिया था, उनका दावा था कि अभिनय उन्हें 'इस्लाम से दूर' ले जा रहा है। हालांकि फिल्मों को छोडऩे के ऐलान के बाद ज़ायरा वसीम के मैनेजर का कहना है कि उसका अकाउंट 'हैक' हो गया था, उसने बॉलीवुड छोड़ने को लेकर कोई पोस्ट नहीं किया।
If one wonders how does a millenial who was offered an opportunity in uber cosmopolitanism, end up with so much bigotry and hate, she is mentioning the source also. pic.twitter.com/k3FOZrRvub
— Vikas Saraswat (@VikasSaraswat)फिलहाल माना जा रहा है कि वसीम ने कुछ सस्ते प्रचार हासिल करने के लिए इस तरह का बयान दिया है और इसके बयान के बाद सोशल मीडिया में लोग उसके आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स ने पूछा कि ज़ायरा वसीम इतनी धार्मिक कैसे हो सकती है, जो टिड्डी हमले से नफरत फैला रही है। जो गरीब किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
नवंबर के बाद से पाकिस्तान से आए टिड्डे झुंड राजस्थान और उससे जुड़े राज्यों में हमला कर रहे हैं। यही नहीं पाकिस्तान में भी टिड्डियों ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। कराची सहित सिंध के कई इलाके नवंबर से बड़े पैमाने पर टिड्डियों के हमलों का सामना कर रहे हैं। इन टिड्डियों के झुंडों ने फरवरी में भी गुजरात में सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया था और हाल ही में, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी ऐसे टिड्डों के झुंड देखे गए हैं।