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भारत के इस Space Startup की लंबी छलांग, 13 विदेशी ग्राहकों से चल रही बात...इसरो भी अब तक न कर पाया ये काम

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jun 03, 2024, 03:37 PM IST
भारत के इस Space Startup की लंबी छलांग, 13 विदेशी ग्राहकों से चल रही बात...इसरो भी अब तक न कर पाया ये काम

सार

भारत के स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमोस (AgniKul Cosmos) ने हालिया Agnibaan SOrTeD का सफल परीक्षण कर सबको चौंका दिया। स्टार्टअप के को-फाउंडर और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन के अनुसार, यूरोप, जापान और अमेरिका के 13 ग्राहकों से बातचीत चल रही है।

नयी दिल्ली। भारत के स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमोस (AgniKul Cosmos) ने हालिया Agnibaan SOrTeD का सफल परीक्षण कर सबको चौंका दिया। स्टार्टअप के को-फाउंडर और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन के अनुसार, यूरोप, जापान और अमेरिका के 13 ग्राहकों से बातचीत चल रही है। खास यह है कि अग्निकुल ने जिस तरह के रॉकेट को लॉन्च किया है। वह अब तक इसरो भी नहीं कर पाया। 

कॉस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी की वजह से लागत कम

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविचंद्रन की कोशिश है कि ग्राहकों से कुछ ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हों, जो अगली फ्लाइट लॉन्च होने तक कुछ बिजनेस दे पाएं। वैसे Agnibaan SOrTeD रॉकेट को डेवलप करने में लगभग 1000 डॉलर की लागत आई। कॉस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी की वजह से कम लागत में यह काम हो सका। यही वजह है कि दुनिया भर की कम्पनियां भारत के इस स्टार्टअप से जुड़ना चाहती हैं।

4 बार टाली गई थी लॉन्चिंग

बीते 30 मई को ही अग्निकुल रॉकेट श्रीहरिकोटा स्थित भारत के इकलौते प्राइवेट लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया था। दुनिया के पहले सिंगल पीस 3डी इजंन वाले व्हीकल को इन-हाउस डिजाइन किया गया। लॉन्चिंग के पहले इस मिशन को 4 बार टाला भी गया था। 22 मार्च से ही लॉन्चिंग की कोशिशें चल रही थीं। पर हर बार किसी न किसी इशू की वजह से लॉन्चिंग टल जा रही थी। इस रॉकेट को गैस और और लिक्विड फ्यूल के कॉम्बिनेशन से बनाया गया। 

एक दशक में 44 अरब डॉलर पहुंच सकता है मार्केट

आपको बता दें कि स्पेस-टेक स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने पिछले साल अक्टूबर में फंडिंग के जरिए 200 करोड़ रुपये जुटाए थे। IIT-Madras की तरफ से इस स्टार्टअप का इनक्युबेशन किया गया। स्टार्टअप ने बिजनेस बढ़ाने के लिए फंडिंग उठाई थी। भारत के स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर के मुताबिक, अगले दशक में स्पेस सेक्टर का मार्केट 44 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अभी इसका मार्केट 8 अरब डॉलर तक है।

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