नई दिल्‍ली: भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिज्म के फाइनेंसिंग सिस्टम की लगातार कम टूट रही है। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने इसी को लेकर भारत सरकार की तारीफ की है और अपनी आंकलन रिपोर्ट में उन कदमों के बारे में बताया है, जिसकी मदद से अवैध धन की राह को रोका गया है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अपर सचिव विवेक अग्रवाल ने यह जानकारी दी।

एफएटीएफ-एपीजी-ईएजी के संयुक्त आकलन की रिपोर्ट

1- भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फाइनेंसिंग रोकने के लिए एक प्लान लागू किया है। जिसके अच्छे नतीजे हैं। फाइनेंशियल खुफिया जानकारी का अधिकारी अच्छा इस्तेमाल करते हैं और हेल्प भी करते हैं।

2- एफएटीएफ ने भारत को ‘रेगुलर फॉलोअप’ कैटेगरी में रखा है जो कि उसके द्वारा दी जाने वाली हाईएस्ट कैटेगरी की रेटिंग है। 

3- भारत के अलावा सिर्फ ब्रिटेन, इटली और फ्रांस ही ऐसे जी-20 देश हैं, जिन्हें यह रेटिंग मिली है।

4- रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने फाइनेंशियल इन्क्लूजन की तरफ अहम काम किए हैं। उसकी वजह से देश में बैंक एकाउंट होल्डर्स की संख्या दोगुने से ज्यादा हो गई है।

5- डिजिटल भुगतान प्रणालियों पर अधिक डिपेंडेंसी को बढ़ावा। जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ी। एएमएल/सीएफटी संबंधी प्रयासों में योगदान मिल रहा है।

6- भारत के अधिकारी अवैध वित्तीय लेन देन से निपटने के मामलों में सहयोग और समन्वय करते हैं। उसमें वित्तीय खुफिया जानकारी का यूज भी शामिल है। 

7- वाणिज्यिक बैंकों में रिस्क के साथ बचाव उपायों को लागू करने की अच्छी समझ।

8- भारतीय अफसरों को मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और बढ़ते फाइनेंसिंग सिस्टम से जुड़े रिस्क की अच्छी समझ।

9- भारत को आतंकवाद और उसके वित्तपोषण के गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है।आईएसआईएल या अलकायदा के खतरे भी शामिल।

10- ‘राजनीति से जुड़े व्यक्तियों (पीईपी)’ पर नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। 

11- बेशकीमती धातुओं और पत्थरों के व्यापार पर सख्त नजर रखने की आवश्यकता।

12- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों में जटिल वित्तीय जांच करने की अपनी क्षमता को साबित किया है। हालांकि, उसे अभियोजन की प्रक्रिया को तेज करने और आतंकवादियों को वित्तपोषण करने वालों को दोषी ठहराने के प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

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