एशिया पावर इंडेक्स: जापान को पीछे छोड़ भारत बना तीसरी सबसे बड़ी शक्ति, जानें 3 खास वजहें

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Sep 25, 2024, 11:43 AM IST
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जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत एशिया पावर इंडेक्स में तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। जानें इस उपलब्धि के पीछे आर्थिक विकास, युवा जनसंख्या, और कूटनीतिक प्रभाव जैसी तीन प्रमुख वजहें।

नई दिल्ली। जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत एशिया पॉवर इंडेक्स में तीसरी सबसे पॉवरफुल कंट्री बन गया है। देश को यह अचीवमेंट एक्टिव डेवलपमेंट, यूथ पॉपुलेशन और ग्रोइंग इकोनॉमी के दम पर हासिल हुआ है। खास यह है कि 2024 एशिया पावर इंडेक्स में शामिल रीजनल पावर रैंकिंग्स वाले प्वाइंट में लगातार सुधार जारी है।  

भारत की तरक्की की हैं ये 3 वजहें

1. आर्थिक विकास

भारत में कोरोना महामारी के बाद बड़े स्तर पर आर्थिक सुधार दिखाई दिए, जिससे आर्थिक क्षमता में 4.2 अंकों की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। बड़ी आबादी और ग्रोइंग जीडीपी ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में भारत की स्थिति को स्ट्रांग किया है।

2. भविष्य के संसाधन

भारत के भविष्य के संसाधनों के स्कोर में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, उसमें 8.2 अंकों की बढ़त हासिल हुई है, चीन और जापान के विपरीत, भारत को अपनी यूथ पॉपुलेशन से फायदा हो रहा है, जो आने वाले समय में इकोनॉमी ग्रोथ को गति देगी। 

3. कूटनीतिक प्रभाव

पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में इंटरनेशनल लेवल पर भारत को ज्यादा मान्यता मिली है। गुटनिरपेक्ष रणनीतिक स्थिति से नई दिल्ली के लिए जटिल इंटरनेशनल जलक्षेत्रों में भी परिवहन संभव हो सका है। 2023 में कूटनीतिक डॉयलाग के मामले में भारत छठे स्थान पर था। इन सबके अलावा देश की एक बड़ी आबादी इकोनॉमिक ग्रोथ की और भी संभावनाएं पैदा कर रही हैं।

डिफेंस सेक्टर में अच्छा ग्रोथ

भारत की जीडीपी दुनिया की टॉप कम्पनियों के मुकाबले भले ही कम हो। पर डिफेंस सेक्टर में अच्छा ग्रोथ देखने को मिला है। उदाहरण के तौर पर फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का किया गया समझौता। यह चीजें देखने में भले ही छोटी लगती हों। पर यह बता रही हैं कि भारत अपने पड़ोसियों से इतर अपनी ताकत को बढ़ा रहा है। 

क्या है एशिया पावर इंडेक्स?

एशिया पावर इंडेक्स लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा 2018 में लॉन्च किया गया था, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पावर की स्थिति का आंकलन करता है। इस इंडेक्स के जरिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों का मूल्यांकन किया जाता है, उनकी कैपेसिटी की जांच की जाती है। इस इंडेक्स में राज्यों की भौतिक कैपेसिटी और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनके प्रभाव पर भी फोकस किया जाता है।

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