ये रिपोर्ट पढ़कर शी जिनपिंग को लगेगा झटका, जानें क्‍यों चीनी कंपनियां भी आ रहीं भारत

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Oct 11, 2024, 7:25 PM IST
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भारत तेजी से मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का प्रमुख केंद्र बन रहा है। इस रिपोर्ट में जानें कैसे भारत चीन के लिए एक नई चुनौती बन रहा है और स्मार्टफोन आयात की मांग कैसे घटकर 0.25% तक पहुंच सकती है।

नई दिल्ली। भारत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में तेजी से उभरता हुआ प्लेयर बनता जा रहा है। कुछ साल पहले तक जहां मोबाइल फोन का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता था, अब स्थिति पूरी तरह बदल रही है। ऐपल, सैमसंग, और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने प्रीमियम फोन मॉडल्स की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शुरू कर दी है। चीनी कंपनियां भी भारत में ही अपने फोन बनाने में इंटरेस्ट ले रही हैं। इस रिपोर्ट से चीन की सरकार और वहां के बिजनेस मॉडल को बड़ा झटका लगेगा।

भारत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का बन रहा हब 

बहरहाल, यह बात साफ है कि अब भारत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में मोबाइल फोन का घरेलू उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है और आयात की जरूरत पहले से काफी कम हो गई है। यह बदलाव न सिर्फ भारतीय टेक्नोलॅाजी और इकोनॉमी के लिए काफी अहम है, बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी इसका बड़ा असर दिख रहा है। 

इन ब्रांड्स के फोन की भारत में हो रही मैन्यूफैक्चरिंग

अब भारत में सिर्फ डोमेस्टिक ब्रांड्स ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट्स बना रही हैं। 
Apple ने हाल ही में अपने प्रीमियम मॉडल्स iPhone Pro और Pro Max की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शुरू की है।
Google ने भी अपना नया Pixel 8 मॉडल भारत में बनाना शुरू कर दिया है।
Samsung पहले से ही अपने प्रमुख मॉडल्स जैसे S24, Flip और Fold डिवाइसेस का निर्माण भारत में कर रहा है।
इसके अलावा, चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स जैसे Oppo, Vivo, Xiaomi और Realme भी भारत में ही अपने फोन बना रहे हैं। 
भारतीय ब्रांड्स लावा और माइक्रोमैक्स भी इस दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

भारत में बिकने वाले 99% फोन यहीं बन रहें

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बिकने वाले लगभग 99% मोबाइल फोन अब यहीं पर बनाए जा रहे हैं। जो 1% फोन आयात किए जा रहे हैं, वह भी जल्द ही देश में ही बनाए जाने की प्ला​निंग है। स्मार्टफोन निर्माण में यह क्रांति भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि देश को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी स्थापित कर रही है।

0.25% तक हो सकता है इम्पोर्ट

रिपोर्ट में अनुमान लगाया जा रहा है कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 तक स्मार्टफोन इम्पोर्ट की मांग घट जाएगी, जो सिर्फ 0.25% तक रह सकती है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के दौरान सिर्फ 3% फोन ही इम्पोर्ट किए गए थे, जिन्हें भारत में बेचा गया। उनमें भी ज्यादातर iPhone Pro और Google Pixel मॉडल्स थे, जो अब देश में ही बन रहे हैं।

भारत कैसे बन रहा है चीन के लिए चुनौती?

चीन लंबे समय से मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल सेंटर रहा है, लेकिन भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी उसे सीधे चुनौती दे रही है। कई कंपनियों ने चीन में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद कर भारत में प्रोडक्शन शुरू किया है। भारत की पॉलिटिकल स्टेबिलिटी, सस्ती लेबर कॉस्ट और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI) जैसी योजनाओं ने भारत को ग्लोबल कंपनियों के लिए एक अट्रैक्टिव मैन्युफैक्चरिंग हब बना दिया है।

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