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समंदर की गहराई से भारत का ताकतवर कदम, दागी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल, क्या है वजह?

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Nov 28, 2024, 02:57 PM IST
समंदर की गहराई से भारत का ताकतवर कदम, दागी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल, क्या है वजह?

सार

भारतीय नौसेना ने INS Arighat से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। 3500 किलोमीटर की रेंज और 'सेकेंड स्ट्राइक' क्षमता से लैस यह मिसाइल भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को और मजबूत बनाती है। जानें, इसकी खासियत।

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने अपनी न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन INS Arighat से K-4 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल परीक्षण कर एक बड़ा कदम उठाया है। यह परीक्षण न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब "सेकेंड स्ट्राइक" की सामरिक क्षमता के मामले में किसी से पीछे नहीं है।K-4 मिसाइल, जिसकी रेंज 3500 किलोमीटर है, भारत के एटॉमिक सुरक्षा ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। यह मिसाइल नौसेना की अरिहंत क्लास पनडुब्बियों में तैनात की गई है, जो जमीन, हवा और पानी से हमला करने की भारत की न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता को मजबूत करती है।

K-4 SLBM: क्या है इसकी खासियत?

K-4 SLBM एक इंटरमीडियट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 17 टन वजनी और 39 फीट लंबी है। इसका व्यास 4.3 मीटर है और यह 2500 किलोग्राम वजनी न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है। यह सॉलिड रॉकेट मोटर से संचालित होती है। यह मिसाइल बेहद सटीक है और दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है। K-4 मिसाइल के साथ, भारत को यह क्षमता मिल गई है कि यदि दुश्मन परमाणु हमला करता है, तो वह समुद्र के नीचे से भी जवाब दे सके। यह क्षमता भारत की रक्षा नीति "नो फर्स्ट यूज़" को और भी प्रभावी बनाती है।

INS Arighat की पॉवर क्या?

INS Arighat और INS Arihant दोनों अरिहंत क्लास की न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (SSBN) हैं। इनमें चार वर्टिकल लॉन्च सिस्टम हैं, जिनसे K-4 SLBM को लॉन्च किया जा सकता है। INS Arighat को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह लंबे समय तक समुद्र की गहराई में छिपी रह सके और दुश्मन को चौंकाने वाले हमले कर सके।

कब-कब हुए K-4 SLBM के परीक्षण

15 जनवरी 2010 को विशाखापट्टनम के पास 160 फीट गहराई से पहली बार पॉन्टून तकनीक से डेवलपमेंट लॉन्च हुआ।
24 मार्च 2014 को इसी तकनीक से पहला सफल परीक्षण हुआ।
7 मार्च 2016 को दूसरी सफल टेस्टिंग।
2016 में INS Arihant से पहली बार 700 किलोमीटर की रेंज के लिए परीक्षण किया गया।
2017 में एक परीक्षण असफल रहा।
2020 में 3500 किलोमीटर की रेंज के लिए परीक्षण।
2020 में छठीं बार सफल टेस्टिंग की गई। फिर अब इसकी टेस्टिंग हुई है। 

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