भारत की कूटनीतिक धाक: जयशंकर से मिले अमेरिका के नए विदेश मंत्री, संबंधों की नई शुरुआत

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 22, 2025, 6:12 PM IST

अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एस. जयशंकर के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक की। जानें इस कूटनीतिक चर्चा से भारत-अमेरिका संबंधों को क्या मिला।

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रिश्तों में मंगलवार को एक नया चैप्टर जुड़ गया है। अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वॉशिंगटन में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक की। यह मुलाकात इसलिए खास है क्योंकि आमतौर पर अमेरिकी विदेश मंत्री अपनी पहली बैठक कनाडा या मैक्सिको जैसे पड़ोसी देशों या नाटो सहयोगियों के साथ करते हैं। इस बार भारत के साथ यह बैठक, दोनों देशों के बीच संबंधों की नई शुरूआत माना जा रहा है।

ट्रम्प के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे जयशंकर

डॉ. एस. जयशंकर, अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इस मौके पर दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों के बीच यह अहम बैठक आयोजित की गई।

विदेश विभाग ने जारी किया ये बयान

अमेरिकी विदेश विभाग ने नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो के पहले दिन के प्रोग्राम की डिटेल शेयर की। जिसमें कहा गया है, "रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ बैठक की।" यह बैठक विदेश विभाग के मुख्यालय फॉगी बॉटम में हुई और इससे पहले क्वाड ग्रुप की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक संपन्न हुई थी।

साझेदारी को मजबूत करने पर जोर

बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रक्षा, उभरती तकनीक, ऊर्जा और ओपन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मार्को रुबियो ने भारत के साथ आर्थिक संबंधों को और गहरा करने की ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही असामान्य माइग्रेशन पर चिंता भी जाहिर की।

क्यों अहम मानी जा रही है विदेशी मंत्रियों की बैठक?

मार्को रुबियो ने अपनी पहली बहुपक्षीय बैठक के रूप में क्वाड की मंत्रिस्तरीय बैठक की मेजबानी की। इसके तुरंत बाद भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता इस बात का संकेत है कि ट्रंप 2.0 प्रशासन में भारत की कूटनीतिक भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

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