नई दिल्ली। भारत ने अपनी सुरक्षा को और भी मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसी सिलसिले में कर्नाटक के चालकेरे स्थित डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली वोरोनेझ रेडार लगाया जा रहा है। जिसकी रेंज 8000 किमी तक है। यह रेडार चीन और पाकिस्तान तक निगरानी कर सकता है। यह रेडार हवाई खतरों का जल्द पता लगाने और उसका करारा जवाब देने की कैपिसिटी से लैस है।

सैकड़ों लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करने में माहिर

वोरोनेझ रेडार की रेंज भले ही 8000 किमी तक है, पर इसे 10,000 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। इस रेडार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बैलिस्टिक मिसाइल, स्‍टील्‍थ एयरक्राफ्ट और अन्य हवाई खतरों का जल्दी पता लगा सकती है। हालांकि कर्नाटक से चीन की दूरी करीब 1800 किमी है, लेकिन यह शक्तिशाली रेडार अपने 8000 किमी तक सूंघने की ताकत के कारण चीन की मिसाइलों को भी ट्रैक कर सकता है। वोरोनेझ रेडार अलग-अलग वेवबैंड्स पर काम कर सकता है, जिससे यह कई भूमिकाओं में काम करेगा। यह सैकड़ों लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करने में भी माहिर है।

भारत को मिलेगी तकनीकी जानकारी

इस डील के जरिए भारत को रूस के वोरोनेझ रेडार की टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी मिलेगी। यह रेडार भारतीय कंपनियों द्वारा भी बनाया जाएगा, क्योंकि इसका करीब 60 प्रतिशत हिस्सा भारत में ही बनाए जाने की प्लानिंग है। यह डील दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी के संकेत देता है। खासकर उस समय में जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। इन सबके बावजूद भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी मित्रता बरकरार है और यह सहयोग उसे और भी मजबूती दे रही है।

सीमाओं की चौतरफा निगरानी करने में सक्षम होगा भारत

विशेषज्ञ इसे भारतीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम कदम मान रहे हैं। इस रेडार की मदद से भारत अपनी सीमाओं पर चौतरफा निगरानी करने में सक्षम होगा। वोरोनेझ रेडार से भारत को दुश्‍मन की मिसाइलों की जानकारी रियल टाइम में मिल सकेगी, जिससे एयर डिफेंस सिस्‍टम उन्हें तुरंत नष्ट कर सकेगा। भारत और रूस के बीच इस वोरोनेझ रेडार की डील लगभग 4 अरब डॉलर की है। यह रेडार रूस की अलमाज एंटे कंपनी द्वारा बनाया गया है, जो दुनिया के सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्‍टम और रेडार प्रणाली बनाने के लिए जानी जाती है। रूस, चीन और अमेरिका के पास ही इस रेडार जैसी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है।

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