Good News: भारत में जन्मी चीता मुखी ने कूनो पार्क में दिया 5 शावकों को जन्म!

Published : Nov 21, 2025, 06:05 AM IST
Good News: भारत में जन्मी चीता मुखी ने कूनो पार्क में दिया 5 शावकों को जन्म!

सार

भारत में ही जन्मी चीता 'मुखी' ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पांच शावकों को जन्म देकर इतिहास रच दिया है। इस बड़ी कामयाबी ने 'प्रोजेक्ट चीता' को नई जान दी है। माँ और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं। 

भोपाल : भारत में ही जन्मी चीता 'मुखी' ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पांच शावकों को जन्म देकर इतिहास रच दिया है। यह भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना में एक बहुत बड़ी कामयाबी है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर इस खुशखबरी की घोषणा की और बताया कि माँ और उसके बच्चे दोनों स्वस्थ हैं और ठीक हैं।

कूनो नेशनल पार्क में जन्मी और अब 33 महीने की हो चुकी 'मुखी', प्रजनन करने वाली पहली भारतीय मूल की मादा चीता बन गई है, जिससे 'प्रोजेक्ट चीता' को नई जान मिली है। यह सफलता दिखाती है कि भारत में जन्मे चीते यहाँ के माहौल में अच्छी तरह ढल रहे हैं और भारत में चीतों की आबादी के लंबे समय तक बने रहने की उम्मीद जगाते हैं। 'मुखी' का यह प्रजनन चीता प्रजाति के स्वास्थ्य और अनुकूलन का एक अहम संकेत है। इससे भारत में आनुवंशिक रूप से विविध और आत्मनिर्भर चीता आबादी स्थापित करने की पहल में विश्वास बढ़ा है।

सितंबर 2022 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट चीता

सितंबर 2022 में शुरू हुए 'प्रोजेक्ट चीता' का मकसद भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाना था। इसके लिए शुरुआत में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को भारत लाया गया था।

उन देशों से लाए गए 9 वयस्क चीतों और दस शावकों की मौत जैसी चुनौतियों के बावजूद, कूनो में शावकों के जीवित रहने की दर 61% से ज़्यादा है, जो 40% के वैश्विक औसत से कहीं ज़्यादा है। यह उपलब्धि इस प्रोजेक्ट के बेहतरीन मैनेजमेंट और कूनो नेशनल पार्क के अनुकूल माहौल को दर्शाती है।

पांच शावकों के जन्म से बढ़ी उम्मीद

'मुखी' के पांच शावकों का जन्म इस प्रोजेक्ट के भविष्य को लेकर उम्मीदों को और मजबूत करता है। यह चीतों की आबादी बढ़ाने के लिए एक नींव रखता है, साथ ही आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए बोत्सवाना और नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों से और चीतों को लाने की भी योजना है।

'मुखी' और 'प्रोजेक्ट चीता' की इस उपलब्धि को संरक्षण की दुनिया में एक बड़ी सफलता के रूप में मनाया जा रहा है। यह भारत की वन्यजीव विरासत को फिर से स्थापित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

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