भारत के इस किसान के बेटे ने विश्व में मनवाया काबीलियत का लोहा, कभी फीस के नहीं थे पैसे- आज जीता है लग्जरी लाइफ

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Apr 20, 2024, 10:59 AM IST

Global Energy Award Winner2024: कर्नाटक के छोटे से गांव में रहने वाले एक किसान के बेटे ने वो कर दिखाया,  जो देश और दुनिया के लिए अकल्पनीय था। उसकी प्रतिभा का लोहा आज देश ही नहीं विश्व भी मान रहा है। इस किसान पुत्र का नाम  प्रो. कौशिक राजशेखर है।


Global Energy Award Winner2024: कर्नाटक के छोटे से गांव में रहने वाले एक किसान के बेटे ने वो कर दिखाया,  जो देश और दुनिया के लिए अकल्पनीय था। उसकी प्रतिभा का लोहा आज देश ही नहीं विश्व भी मान रहा है। इस किसान पुत्र का नाम  प्रो. कौशिक राजशेखर है। जिनके पिता के पास एक समय फीस के पैसे देने के लिए नहीं हुआ करते थे। अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के ‘कुलेन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ में सेवारत, ‘ग्लोबल एनर्जी’ पुरस्कार विजेता, भारतवंशी प्रोफेसर कौशिक राजशेखर को जापान की इंजीनियरिंग अकादमी के अंतरराष्ट्रीय फेलो के रूप में चुना गया है।

 

Global Energy Award Winner प्रो. राजशेखर का क्या है योगदान?
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रबल पैरोकार रहे प्रो. कौशिक राजशेखर को जापान की इंजीनियरिंग अकादमी के इंटरनेशनल फेलो के रूप में चुना गया है। युनिवर्सिटी की ओर से बताया गया है कि प्रो. राजशेखर को इलेक्ट्रिक पावर कनर्वजन और इलेक्ट्रिफिकेशन ऑफ ट्रांसपोर्टेशन में योगदान के लिए चुना गया है। तीन दशकों से अधिक समय तक प्रो. राजशेखर ने जापानी छात्रों, इंजीनियरों और कई जापानी युनिर्वसिटी फैकेल्टी के साथ काम किया है। इंटरनेशनल फेलो के रूप में उनका चयन विशेष रूप से ग्लोबल एनर्जी में उनके एक्सीलेंट साईंटिफक रिसर्च और साइंटिफिक टेक्नालाॅजी रिसर्च में विशेष योगदान की वजह से किया गया है। उनका योगदान संपूर्ण मानव जाति के हित में पृथ्वी पर एनर्जी सोर्सेज को बढ़ावा देती है।

 

Global Energy Award Winner प्रो. राजशेखर कहां के रहने वाले हैं?
इससे पहले प्रो. राजशेखर को जुलाई, 2022 में भी ग्लोबल एनर्जी प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. राजेशेखर मूल रूप से दक्षिण भारत के कर्नाटक स्टेट के रहने वाले हैं। यहां के एक छोटे से गांव  देवरायसमुद्रम में वह अपने माता-पिता और 2 भाईयों के साथ रहते थे। उनके माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे। उनके पिता लगभग 100 किमी दूर एक कस्बे में काम करते थे। वह महीने में एक बार घर आते थे। पिता के पास फीस के पैसे देने के लिए नहीं हुआ करते थे। उनके दो बड़े भाई थे - एक सिविल इंजीनियर बना और दूसरा मेडिकल डॉक्टर, दोनों अब रिटायर हो चुके हैं। कन्नड़-माध्यम स्कूल से अपनी 10वीं कक्षा पूरी करने प्रो. राजशेखर को 6 भाषाओं कन्नड़, तेलुगु, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेज़ी और जर्मन का ज्ञान है।  बेहद गरीबी में बचपन गुजारने वाले प्रो. राजशेखर शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल थे। उनके पिता ने उन्हें कड़ी मेहनत करके पढ़ाया। जिसकी देन है कि आज वह इस मुकाम पर हैं। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय विज्ञान संस्थान में सहायक प्रोफेसर और वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में काम किया। 1992 में इंडियाना वेस्लेयन विश्वविद्यालय, USA से MBA किया। 

 

Global Energy Award Winner प्रो. कौशिक राजशेखर ने कहां-कहां किया है काम?
जनरल मोटर्स के इम्पैक्ट इलेक्ट्रिक वाहन के पूर्व हेड प्रणोदन प्रणाली इंजीनियर और रोल्स-रॉयस कॉरपोरेशन में  चीफ टेक्नाॅलाजिस्ट के रूप में में काम कर चुके हैं।  उन्होंने अन्य लोगों के अलावा मीजी विश्वविद्यालय में सेमिनार के लिए अक्सर जापान का दौरा किया। राजशेखर इलेक्ट्रिक 36 अमेरिकी पेटेंट और 15 विदेशी पेटेंट के मालिक हैं। 2022 में 43 देशों के रिकॉर्ड 119 नामांकन में से दुनिया में केवल तीन लोगों को इस सम्मान के लिए चुना गया था। 

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