जिस जगह पर चीन की नजर, वहीं 7 देशों के साथ भारत का 'शक्ति प्रदर्शन'

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 18, 2025, 11:57 PM IST

स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक INS मुंबई बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास 'ला पेरोस' के चौथे संस्करण में भाग ले रहा है। जानें इस अभ्यास के उद्देश्य, भारत की भागीदारी, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इसकी अहम भूमिका।

नई दिल्ली। इंडियन नेवी की मिसाइल विध्वंसक INS मुंबई, समुद्री अभ्यास 'ला पेरोस' के चौथे वर्जन में शामिल हो रही है। जिसमें कई प्रमुख देशों की नौसेनाएं भी हिस्सा ले रही हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, अमेरिका, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, कनाडा और यूके शामिल हैं।  

'ला पेरोस' अभ्यास क्यों?

'ला पेरोस' समुद्री अभ्यास का मकसद समुद्री निगरानी, समुद्री अवरोधन संचालन और हवाई संचालन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है। यह अभ्यास समान विचारधारा वाली नौसेनाओं को सामरिक अंतर-संचालन (Interoperability) को बेहतर बनाने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। ताकि ट्रेनिंग और सूचना साझाकरण के जरिए साझा समुद्री परिस्थिति जागरूकता (Maritime Situational Awareness) को विकसित किया जा सके।

इन मिशन में शामिल होंगी नौसेनाएं

सतह युद्ध।
वायु-विरोधी युद्ध।
वायु-रक्षा अभियान।
क्रॉस डेक लैंडिंग।
सामरिक युद्धाभ्यास।
वीबीएसएस (Visit, Board, Search and Seizure) जैसे कांस्टेबुलरी मिशन। 
इन अभियानों से भागीदार देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी तालमेल बढ़ेगा।

समान विचारधारा वाले देशों का मंच

INS मुंबई की यह यात्रा भारत के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण के अनुरूप है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को मजबूती मिलेगी। यह संयुक्त युद्धाभ्यास समान विचारधारा वाले देशों को एक ऐसा मंच दे रहा है, जो इस समुद्री क्षेत्र का शहंशाह बनने की हसरत पालने वाले देश के लिए एक चुनौती बनेगा। आपको बता दें कि इंडो पैसिफिक के जिस इलाके पर बीजिंग की काफी समय से निगाहे हैं। यह संयुक्त समुद्री अभ्यास उसी इलाके में हो रहा है।  

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