क्या है MQ-9B Predator? जानें इस हाईटेक ड्रोन की खासियत। भारतीय सेना ने अमेरिका के साथ 32,000 करोड़ रुपये की डील की। जिसके तहत 31 Predator ड्रोन मिलेंगे।
MQ-9B Predator: भारतीय सेना ने अमेरिका के साथ 31 MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन की डील की है, जिसकी कुल कीमत 32,000 करोड़ रुपये है। इस डील के तहत इन ड्रोन के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग की सुविधाएं भी भारत में बनाई जाएंगी। यह ड्रोन भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा। इन ड्रोन्स का यूज निगरानी, हमले और जासूसी के मिशन में किया जाएगा, जिससे भारत के डिफेंस सिस्टम की ताकत और बढ़ेगी।
MQ-9B Predator क्या है?
MQ-9B Predator, जिसे 'रीपर' के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे खतरनाक और हाईटेक ड्रोन है। यह एक HALE ड्रोन है, जिसका मतलब है High Altitude Long Endurance, यानी यह ड्रोन ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भर सकता है। इसकी ताकत और कैपेसिटी इसे किसी भी प्रकार के सैन्य मिशन के लिए आइडियल बनाती है, चाहे वह जासूसी हो या हमला। पीएम मोदी की पिछले साल 21 से 24 जून की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील का प्रस्ताव दिया गया था।
MQ-9B Predator की खासियत
यह ड्रोन 1,900 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है, जिससे यह लंबी दूरी तक दुश्मन के इलाकों की निगरानी करने में सक्षम है। 1,700 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकता है, जिससे यह किसी भी मिशन में भारी विनाश करने की क्षमता रखता है। 482 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाला यह ड्रोन 50,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मनों पर हमला कर सकता है। आमतौर पर यह ड्रोन 25,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है, लेकिन यह 50,000 फीट तक भी उड़ान भर सकता है, जिससे दुश्मन इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर सकते।
जवाहिरी जैसे आतंकी को इसी ड्रोन ने मारा
MQ-9B Predator ड्रोन का वजन 2223 किलोग्राम है। इसकी लंबाई 36.1 फीट, विंगस्पैन 65.7 फीट, ऊंचाई 12.6 फीट और ईंधन कैपेसिटी 1800 किलोग्राम है। MQ-9B ड्रोन को जासूसी, निगरानी और जानकारी एकत्र करने के लिए भेजा जा सकता है। यह दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में बेहद कारगर साबित होता है। इसमें लगे मिसाइलें और बम दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले कर सकते हैं। अयमान अल-जवाहिरी जैसे आतंकी सरगनाओं को भी इसी ड्रोन से मारा गया था।
ड्रोन में खतरनाक हथियारों का भंडार
ड्रोन में AGM-114 Hellfire मिसाइलें लगी होती हैं, यह हवा से जमीन पर सटीकता से हमला करने वाली मिसाइलें होती हैं, जो 4 हार्डप्वाइंट पर लगाई जाती हैं। इसमें GBU-12 Paveway II लेजर गाइडेड बम होते हैं जो बेहद सटीकता से लक्ष्य को भेदते हैं। इसके अलावा, ड्रोन पर GBU-38 JDAM (ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक एम्यूनिशन) और ब्रिमस्टोन मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।
कहां की जाएगी ड्रोन की तैनाती?
भारत ने इन ड्रोन्स की तैनाती की भी योजना बनाई है। नौसेना के लिए इनका संचालन चेन्नई के आईएनएस राजाली और गुजरात के पोरबंदर में किया जाएगा। वायुसेना और आर्मी इन्हें गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस पर संचालित करेंगे, जिससे चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर निगरानी रखना आसान हो जाएगा। लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और समुद्री इलाकों में निगरानी के लिए 15 ड्रोन तैनात किए जाएंगे।
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