India Made Own Short Range Air Defence System: भारत ने हाल ही में अपने स्वदेशी 'आयरन डोम' का सफल परीक्षण किया है, जो कि चौथी पीढ़ी का कम दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है और इसका परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया। इस सिस्टम को वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के नाम से भी जाना जाता है। मॉर्डन टेक्नोलॉजी से लैस यह सिस्टम देश के वायु रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसे 'आसमान में भारत का स्वदेशी रक्षक' भी कहा जा सकता है।

VSHORADS क्या है?

VSHORADS एक कंधे से दागी जाने वाली विमान भेदी मिसाइल है, जिसे विशेष रूप से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों, हेलीकॉप्टरों, और मानव रहित विमानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली बहुत ही सटीक है और इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है, जो इसे वॉर जोन के लिए यूजफुल बनाता है। 

क्या है खासियत?

भारत का यह VSHORADS सिस्टम आधुनिक तकनीक से लैस है। विशेषताएं ऐसी हैं, जो इस एयर डिफेंस सिस्टम को यूनिक बनाती हैं।

रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम: यह प्रणाली मिसाइल को किसी भी दिशा में तेजी से घुमा सकती है। मतलब यह सिस्टम किसी भी दिशा में थ्रस्ट देने में सक्षम है। सरल भाषा में समझिए तो यह हवा में तेजी से ​अपना लक्ष्य बदल सकती है।

इमेजिंग इंफ्रारेड होमिंग सिस्टम: यह टेक्नोलॉजी दुश्मन के हवाई हमलों को ट्रैक करने और लक्ष्य को पहचानने में मदद करती है। इसका यूज करके मिसाइल अपने लक्ष्य को तेजी से खोजकर उसे नष्ट कर सकती है।

वजन और आकार: इस मिसाइल का वजन 20.5 किलोग्राम है, लंबाई 6.7 फीट और व्यास 3.5 इंच है। यह प्रणाली 2 किलोग्राम तक के हथियार को अपने साथ ले जा सकती है।

मारक क्षमता: इस मिसाइल की रेंज 250 मीटर से 6 किलोमीटर तक है और इसकी गति करीब 1800 किलोमीटर प्रति घंटा है।

लॉन्चर: इस प्रणाली का परीक्षण ग्राउंड-बेस्ड मैन पोर्टेबल लॉन्चर से किया गया, जो इसे किसी भी दिशा में दागने में सक्षम बनाता है। सेना के अधिकारी भी इस परीक्षण के दौरान मौजूद थे।

सिस्टम की ज़रूरत क्यों थी?

मौजूदा समय में दुनियाभर में चल रहे संघर्षों, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़रायल-हमास संघर्ष, ने यह साफ कर दिया है कि एयर डिफेंस सिस्टम किसी भी देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम होते हैं। भारत के लिए यह ज़रूरी था कि वह अपने हवाई सुरक्षा तंत्र को मजबूत करे, ताकि किसी भी संभावित हवाई खतरे का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सके।

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