पूरी तरह फिट नहीं थे पैर-सुने समाज के ताने, पहले IAS, अब बने दुनिया के नंबर 1 पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी 

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jun 26, 2024, 1:30 PM IST

Suhas L Yathiraj World Number 1 Para Badminton Player: यूपी के आईएएस अफसर सुहास एलवाई (सुहास लालिनाकेरे यथिराज) दुनिया के नम्बर एक प्लेयर बन गए हैं।

Suhas L Yathiraj Para Badminton Player: यूपी के आईएएस सुहास एलवाई (Suhas Lo Yathiraj) ने पैरा बैडमिंटन में भारत का नाम दुनिया भर में बुलंद किया है। अब पैरा बैडमिंडटन वर्ल्ड रैंकिंग में दुनिया के नम्बर एक खिलाड़ी बने हैं। फ्रांस के लुकास माजुर को पछाड़कर यह उपलब्धि हासिल की। बीते फरवरी महीने में विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीत चुके हैं। तब इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को पछाड़ा था। उन्हें अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका है। 

पैरा बैडमिंडटन वर्ल्ड रैंकिंग में नम्बर एक

हालांकि टोक्यो पैरालंपिक के एसएल-4 वर्ग के खिताबी मुकाबले में रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। पैरा बैडमिंडटन वर्ल्ड रैंकिंग में सुहास के 60,527 अंक हैं, जो उनके प्रतिद्वंदी माजुर के 58,953 अंक से ज्यादा हैं। माइक्रो ब्लागिंग साइट 'एक्स' पर खुशी जाहिर करते हुए सुहास ने लिखा है कि 'फाइनली विश्व नंबर एक। 

कहा-जीवन में पहली बार दुनिया में नंबर एक रैंक

वह आगे लिखते हैं कि नवीनतम बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन पैरा बैडमिंटन रैंकिंग में पुरुष सिंगल्स में जीवन में पहली बार दुनिया में नंबर एक रैंक मिली है। लंबे समय बाद दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी लुकास माजुर (फ्रांस) की जगह ली। आशीर्वाद और शुभकामनाओं के धन्यवाद। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा ने भी इस उपलब्धि पर उनको बधाई दी है। 

 

Congratulations!

Your dedication to the sport, alongside your adept handling of administrative duties, is truly commendable.

Wishing you continued success in all your future endeavors. We are proud of your achievements and the inspiration you bring to us all. https://t.co/6cqQerjvm5

— Yogi Adityanath (@myogiadityanath)

सुहास एलवाई कौन हैं?

यूपी के युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल विभाग के सचिव और महानिदेशक सुहास एलवाई (Suhas LY) ने जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) हैं। शुरूआती दिनों में वह आईएएस नहीं बनना चाहते थे। बचपन से खेल में दिलचस्पी थी। पिता और परिवार का सपोर्ट था। पर दिव्यांग होने की वजह से समाज के ताने सुनने पड़ते थे। यह परिवार का ही साथ था, जिससे वह कभी कमजोर नहीं पड़ें। परिवार ने उन्हें कभी खेलने से नहीं रोका। पिता का ट्रांसफर होने की वजह से उनकी पढ़ाई अलग-अलग शहरों में हुई।

आईएएस बनने के बाद खेल में दिलचस्पी बरकरार

गांव से शुरूआती पढ़ाई करने वाले सुहास ने सूरत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया। साल 2005 में पिता नहीं रहें। यह सुहास के लिए बड़ा झटका था। उसी दरम्यान उन्होंने सिविल सर्विस की राह चुनी और UPSC की तैयारी में जुट गए। आगरा में पहली पोस्टिंग हुई। जौनपुर और सोनभद्र समेत 7 जिलों के डीएम रहें। फिर भी उनका खेल के प्रति मोह कम नहीं हुआ।

चाइना की हार से जीत का फॉर्मूला

सुहास पहले शौकिया तौर पर बैडमिंटन खेलते थे। कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल मिले तो प्रोफेशनल तरीका आजमाया। 2016 में इंटरनेशनल मैच खेला। चाइना के पहले मैच में हार मिली। साथ ही वह जीतने का फॉर्मूला भी जान गए और फिर उनका मेडल पाने का सिलसिला जारी है।  

ये भी पढें-भारत का 'अवार्ड विनिंग विलेज' है बिहार का ये गांव, 3 पद्मश्री-10 नेशनल और 60 स्टेट अवार्ड ..

click me!